तृषा ! संकल्प सवेरा नेटवर्क
एक सार्वभौम दर्शन !
तृषा प्रशस्त करता मानवता का कल्याण है ,
दुखियों का परित्राण है ,
राहुल की तृषा बुद्ध के रूप में जग की तृप्ति है
उर्मिला की तृषा लक्ष्मण के गौरव की प्राप्ति है
शबरी की तृषा प्रतीक्षा है रघुनाथ की
लव , कुश की तृषा है पिता के साथ की
स्वाति का नीर है चातक की तृषा
तृषा के मूल में है अदम्य जिजीविषा
तृषा आस्था को प्रबल बनाती है
तृषा आशा को संबल देती है
तृषा अनंत यात्रा है मनुजता की
तृषा अमृत बिंदु है नयन की
तृषा सौंदर्य की चाहत है सुमन की।
तृषा की तृषा है सार्थकता जीवन की।।
-तृषा द्विवेदी “मेघ”
उन्नाव,उत्तर प्रदेश