भारत में अचानक कोरोना की दूसरी लहर के बीच अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी देखने को मिल रही है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर 6 पेड़ ज्यादा से ज्यादा लगाए गए होते तो देश में कभी भी ऑक्सीजन की कमी नहीं होती. जहां पहले पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती थी, अब फैक्टरी में इनका निर्माण होने लगा है. समय के साथ आधुनिक होती दुनिया ने पेड़ों की जमकर कटाई की, जिसका नतीजा निकला पर्यावरण में ऑक्सीजन की कमी. अब एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अगर दुनिया में पेड़ ना हों, तो कितनी भी फैक्ट्री लगा दें, ऑक्सीजन की कमी होगी ही. उन्होंने 6 तरह के पेड़ों के बारे में बताते हुए कहा कि लोगों को अभी भी जागरूक होकर इन 6 तरह के पेड़ों को लगाना चाहिए.
जामुन का पेड़
जामुन तो आपने काफी खाए होंगे. इसके बीज भी काफी फायदेमंद होते हैं. लेकिन इसके पेड़ को कम ना समझें. जामुन का पेड़ सल्फर और नाइट्रोजन जैसे गैसों को शुद्ध बना देता है. साथ ही काफी ज्यादा ऑक्सीजन भी रिलीज करता है.
बरगद का पेड़
बरगद के पेड़ को नेशनल ट्री कहा जाता है. हिन्दुओं में भी इस पेड़ की पूजा की जाती है. ये पेड़ भी काफी विशाल होता है. बरगद के पेड़ की एक खासियत है कि ये पेड़ कितना ऑक्सीजन बनाएगा, ये बात इसकी छाया पर निर्भर करता है. यानी जितना बड़ा और घना पेड़ होगा, उतनी ही ज्यादा इससे ऑक्सीजन मिल पाएगी
अशोक का पेड़
अशोक का पेड़ भारी मात्रा में ऑक्सीजन का निर्माण कर पर्यावरण में छोड़ता है. इसे लगाने से ना सिर्फ ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है बल्कि ये पेड़ दूषित गैसों को भी सोख कर शुद्ध बना देती है.
अर्जुन का पेड़
अर्जुन के पेड़ का हिन्दू धर्म में काफी महत्व है. इसे माता सीता का फेवरिट माना जाता है. इसके कई आयुर्वेदिक फायदे हैं. ना सिर्फ ये पेड़ ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है बल्कि दूषित गैसों को सोखकर शुद्ध बना देता है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पीपल का पेड़ किसी अन्य पेड़ की तुलना में सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का निर्माण करता है. ये पेड़ 60 से 80 फ़ीट तक लंबा हो सकता है. हिन्दुओं में तो इस पेड़ का धार्मिक महत्व भी है. ये पेड़ अपनी पूरी जिंदगी में इतना ऑक्सीजन बना सकता है जितना कई फैक्टरीज भी नहीं कर पाते हैं.