किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण होने की गारंटी नहीं : शशि मोहन सिंह क्षेम
पिछले आंदोलन से सबक लेकर अधिक तैयारी में है पुलिस
संकल्प सवेरा,जौनपुर। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले किसान आंदोलन की शुरुआत हुई। पंजाब के किस पिछले कई दिनों से दिल्ली में घुसने की तैयारी कर रहे हैं। तीन-तीन केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच हुई कई बैठकें बेनतीजा रही। दिल्ली की सीमाओं पर पुलिस ने कटीले तार लगाकर किसानों को दिल्ली में घुसने से रोकने की व्यवस्था की है किसानों का कहना है कि किसानों को रोकने के लिए लोहे की किले वह कटीले तारों का प्रयोग करना अनुचित है। लोकतंत्र में धरना प्रदर्शन आंदोलन का अधिकार जनता को मिला है परंतु ध्यान देने योग्य बात है कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध प्रकट तो किया जा सकता है परंतु आंदोलन के नाम पर हिंसा नहीं की जा सकती तथा ऐसे कार्य नहीं किए जाने चाहिए जिनसे आम जनता के अधिकारों का हनन हो। ट्रैक्टरों जेसीबी मशीनों पोकलेन जैसे उपकरणों को लेकर दिल्ली सीमा पर डट जाना किसने की मनसा पर सवाल उठता है। पिछले आंदोलन सन 2021 के दौरान सड़के अवरुद्ध कर दी गई थी जिससे करोड़ों लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। छात्र अध्यापक स्कूल नहीं पहुंच सके और वकील न्यायालय तक नहीं पहुंच पा रहे थे। रोगियों को अस्पताल पहुंचने में परेशानी हुई व्यापारियों का कारोबार ठप रहा। इससे देश को कितनी क्षति हुई इसका आंकलन कर पाना अत्यंत कठिन कार्य है। वर्ष 2021 के आंदोलन के दौरान किसानों ने राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर जो तांडव किया उसे पूरा देश शर्मसार हुआ था। पुलिस बल द्वारा काफी सूझबूझ एवं संयम का परिचय दिया गया। किसान नेता वैसा ही तांडव इस बार नहीं करेंगे इस बात की कोई गारंटी नहीं है।
किसान भी इस तथ्य को भली-भांति समझ रहे हैं निश्चित रूप से यह किसान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से प्रेरित हैं। पंजाब के अलावा भी देश के अन्य राज्यों में किसान है। जूट व चावल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, गेहूं व गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश मूंगफली कपास उत्पादक गुजरात, गन्ना उत्तर प्रदेश से, प्याज उत्पादक महाराष्ट्र लहसुन उत्पादक मध्य प्रदेश तंबाकू उत्पादक आंध्र प्रदेश जैसे राज्य हैं। आंदोलन प्रमुख रूप से पंजाब के किस कर रहे हैं। केंद्र सरकार कई फसलों पर एसपी लागू करने को तैयार है फिर भी किसान अपनी मांगों को सत प्रतिशत लागू करवाने की जिद पर अड़े हुए हैं। देश के बड़े-बड़े अर्थशास्त्री मानते हैं कि यदि सभी फसलों पर एसपी लागू हुई तो देश की अर्थव्यवस्था कैमरा जाएगी। किसानों को भी वास्तविकता का ज्ञान होना चाहिए उन्हें एक तरफ सोच का परित्याग करना चाहिए और सरकार की व्यवस्थाओं पर विमर्श करते हुए बीच का रास्ता निकालना चाहिए।