मधुमास
मधुमय मधुमास आस तेरे,
कट जाएँ शीत-उष्ण मेरे,
अलि कलियों पर गुंजार करे,
मधुर रसों का पान करे,
पिक सरस रसाल पान करके,
जीवन रस का वह तान भरे,
कुसुमित सुरभित पल्लव आए।
जीवन बगिया में मधु छाए,
मधुमय मधुमास आस तेरे,
कट जाएँ शीत उष्ण मेरे।।
ग्रीष्म तपन भी बीतेगा,
जीवन रस घन जब बरसेगा।
जीवन पतझड़ भी जायेगा,
नव किसलय तब खिल जायेगा.
सुख-दुख तो जीवन चक्र अहे,
एक आता है एक जाता है।
मधुमय मधुमास आस तेरे
कट जाएँ शीत उष्ण मेरे।।
उस दिन तो सब जग पुष्प सजे,
सुरभित बगिया महके चमके।
हर डाल सजे हर पात सजे,
हर राह और हर द्वार सजे,
मधुमय सारा संसार लगे,
जब तेरा आगमन सखे।
मधुमय मधुमास आस तेरे
कट जाएँ शीत-उष्ण मेरे।।
– डॉक्टर रामजी तिवारी
शिक्षक, सेंटजॉन्स स्कूल,जौनपुर।