खुटहन(जौनपुर)8मार्च, “मंजिले उन्ही को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। ये पंक्तियां बीरी शमसुद्दीनपुर गॉव निवासी किसान के बेटे शशिकांत यादव पर सटीक बैठती है। भारतीय सेना में उसके चयन से एक तरफ जहां गॉव का नाम रोशन हुआ है, वही दूसरी तरफ उसने लोगों को बता दिया कि गरीबी से लड़कर भी इंसान अपनी मंजिल तक पहुंच सकता है। सेना में उसके चयन से गॉव में खुशी की लहर दौड़ गयी है। उनके पिता दया शंकर यादव छोटी जोत के किसान हैं। माता सुशीला देवी कुशल गृहिणी हैं।
पड़ोस के श्रवण उपाध्याय कहते हैं कि शशिकांत बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा का धनी रहा है। उसे दौड़ने का बचपन से ही शौक था। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात गॉव से पहली बार किसी बालक का सेना में चयन होने से लोगो मे दोहरी खुशी व्याप्त है। उसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में हुई। 12वीं कक्षा तक की शिक्षा कमला नेहरू इण्टर कॉलेज जौनपुर से हुई।स्नातक की परीक्षा उसने राम करण इंस्टिट्यूट ऑफ हायर एडुकेशन नौली से पास की। उसने अपनी सफलता का श्रेय विशेष रुप से गुरुजनों व माता पिता को दिया।












