बिहार के शूटरों से चलता था नेटवर्क, बृजेश सिंह, धनंजय और अजय राय सबसे बड़े दुश्मन
संकल्प सवेरा। मुख्तार अंसारी ने दोस्त भी बनाए और दुश्मन भी। अगर मुख्तार के दुश्मनों की बात करें तो तीन नाम सामने आते हैं। पहला बृजेश सिंह, दूसरे अवधेश राय के भाई अजय राय और तीसरा धनंजय सिंह। वर्ष 1988 में मुख्तार और साधु सिंह ने ठेकेदार सच्चिदानंद राय और त्रिभुवन सिंह के भाई राजेंद्र सिंह की हत्या कर दी,
जिसने पूर्वांचल में दो बड़े माफिया की कभी न खत्म होने वाली दुश्मनी को जन्म दिया।
दोनों एक-दूसरे के करीबियों को ठिकाने लगाते रहे। मुख्तार और उनके भाई ने राजनीति में अपनी पैठ बनाई तो बृजेश सिंह ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी। सत्ता के संरक्षण की वजह से अंसारी बंधुओं का पलड़ा भारी पड़ा तो बृजेश को यूपी छोड़ना पड़ गया। वहीं कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुख्तार का पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड में एकछत्र राज हो गया।
अगर मुख्तार के दुश्मनों की बात करें तो तीन नाम सामने आते हैं। पहला बृजेश सिंह, दूसरे अवधेश राय के भाई अजय राय और तीसरा धनंजय सिंह। मुख्तार ने अवधेश राय की नृशंस तरीके से हत्या कराई, जिसके बाद अजय राय ने कई सालों तक अदालती लड़ाई लड़ी। इस बीच लखनऊ विश्वविद्यालय में बेहद करीबी माने जाने वाले अभय सिंह और धनंजय सिंह के बीच कटुता बढ़ी, जिसने पूर्वांचल के अंडरवर्ल्ड के समीकरण बदल दिए। अभय ने मुख्तार के पाले में जाने का फैसला लिया तो धनंजय ने लखनऊ के दिलकुशा कांड के बाद बृजेश सिंह का समर्थन कर मुख्तार से खुलकर दुश्मनी मोल ले ली।
इसके बाद तमाम ठेके-पट्टे में दोनों गुटों के बीच तनातनी रही, लेकिन मध्यस्थों की वजह से काम बंटते गए। वहीं कृष्णानंद राय का परिवार भी मुख्तार को सजा कराने के लिए प्रयासरत रहा, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली। गवाहों की मौत होने और मुकरने की वजह से उसे दिल्ली की अदालत ने बरी कर दिया था।
मुख्तार के पास बिहार के शूटरों का बड़ा नेटवर्क था। उसने अधिकतर कांड इन शूटरों की मदद से अंजाम दिए। बिहार के माफिया शहाबुद्दीन से उसके करीबी संबंध बताए जाते थे। यही वजह थी कि मुख्तार ने कभी बिहार में अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास नहीं किया और शहाबुद्दीन ने यूपी की तरफ नहीं देखा। मुख्तार पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हुआ तो एसटीएफ ने बिहार की जेलों पर नजर रखनी शुरू कर दी।
दरअसल, उसके तमाम शूटर बिहार की जेलों में बंद थे, जिनके खर्च और जमानत का प्रबंध मुख्तार करता था। मुख्तार के शूटर नौशाद कुरैशी को वर्ष 2005 में यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। नौशाद शहाबुद्दीन का शूटर था, जिसे बिहार में हुए एक हत्याकांड के बाद मुख्तार ने पनाह दी थी। सोर्स अमर उजाला 30 मार्च 2024