ढहने लगा है इंडिया गठबन्धन का किला : शशि मोहन सिंह
▷ सीटों के बंटवारे को लेकर बिखरा विपक्ष ▷ नितीश ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद देकर उत्पन्न किया संशय
संकल्प सवेरा, जौनपुर। लोकसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस समेत समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, राष्ट्रीय लोक दल, जदयू, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी आदि को एकजुट करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने पहल शुरू की। आरम्भ में इन सभी दलों के नेताओं ने जो उत्साह दिखाया उससे लगा कि इनके द्वारा बनाया इण्डिया गठबन्धन भाजपा को कड़ी टक्कर देने में सफल होंगे। इन दलों ने प्रधानमन्त्री पद के लिए किसी एक व्यक्ति का चेहरा सामने लाने का साहस नहीं दिखाया। जद (यू) के कुछ नेताओं ने प्रधानमंत्री के रूप में नितीश कुमार को प्रस्तुत किया तो आम आदमी पार्टी के समर्थकों ने दिल्ली के मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की कोशिश की। इण्डिया अथवा इण्डी की अनेक बैठकें हुई, परन्तु किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुँचा जा सका । इधर ज्यों-ज्यों चुनाव की तिथि नजदीक आ रहा है, इंडिया गठबन्धन के एक-एक स्तम्भ ढहने शुरू हो गये। सीटों के बंटवारे को लेकर इस गठबन्धन का कोई दल झुकने को तैयार नहीं है। इस गठबन्धन की सबसे बड़ी पार्टी काँग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी इसे एक भी सीट देने को तैयार नहीं है। जिस कम्युनिस्ट पार्टी को रौंदकर ममता बनर्जी ने सत्ता प्राप्त की, वही पार्टी काँग्रेस की सहयोगी है। कांग्रेस के बड़े नेता अधीर रंजन चौधरी के बयानों में ममता बनर्जी के विरुद्ध आक्रोश भी झलकता है। ममता बनर्जी स्वभावतः उग्र है। उन्होंने कांग्रेस को एक भी सीट न देने की घोषणा करके इंडिया गठबन्धन को करारा झटका दिया है। इतना ही नहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त मान वहाकि 13 लोकसभा सीटों में से एक भी सीट कांग्रेस को नहीं देने की घोषणा कर दी है। इसी प्रकार दिल्ली की लोक सभा सीटों पर आम आदमी पार्टी कांग्रेस के जनाधार को देखते हुए एक भी सीट देने को तैयार नहीं होगी। यही स्थिति लगभग बिहार में भी है। उत्तर प्रदेश में भी पिछले चुनान में कांग्रेस पार्टी लोकसभा की एक सीट पर ही विजय पाने में सफल रही। उसकी दूसरी सीट यानि अमेठी में भाजपा नेत्री स्मृति ईरानी ने प्रधानमन्त्री पद के दावेदार राहुल गाँधी को पराजित कर दिया। काँग्रेस एक सीट पर ही सिमट गयी। इण्डी गठबन्धन में शामिल समाजवादी पार्टी भी कांग्रेस को उसकी अपेक्षा के अनुरूप सीटें देने को तैयार नहीं होगी। कई सीटें उसे सहयोगी पार्टी रालोद को देनी पड़ेगी। कांग्रेस के सामने संकट यह है कि उसके प्रत्याशी जिन सीटों पर चुनान नहीं लडेंगे वहाँ उसके कार्यकर्ता और संगठन के पदाधिकारी निस्क्रिय हो जायेंगे। सीटों के बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र में भी यही समस्या है। वहाँ शरद पवार काँग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे। उद्धव ठाकरे की शिवसेना भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ती रही। अब शिवसेना दो खण्डों में बँट चुकी है परन्तु भाजपा उसके लिए जितनी सीटें छोड़ती थी उतनी सीटें वे अब भी माँग रहे हैं। आज स्थिती यह है कि मोदी के विरुद्ध जो महागठबन्धन तैयार हो रहा था वह अंदर से अन्तर्कलह का शिकार हो चुका है। इधर भारतीय जनता पार्टी अपने मजबूत संगठन के बल पर चुनावी अभियान का शंखनाद कर दिया है, उधर विपक्षी गठबन्धन के प्रमुख घटक काँग्रेस के बड़े नेता राहुल गाँधी असम में न्याय-यात्रा कर रहे हैं। अन्य घटक दलों के नेता कांग्रेस से दूरी बनाये हुए हैं। सीटों को लेकर कोई तालमेल नहीं बन पा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत-रत्न मिलने पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देकर असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दिया है। इस प्रकार विपक्ष के महा गठबन्धन का किला ढहने के कगार पर है। प्रधान मन्त्री मोदी के रास्ते का एक-एक अवरोध अपने-आप हटने लगा है।