‘शासन के प्रभाव से मुक्त हो देश के मठ-मंदिर’:शंकराचार्य निश्चलानंद
जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने भी पूर्वाम्नायगोवर्धनमठ पुरी पीठ (ओडिशा) के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त किया व उनका स्वागत किया
जौनपुर,संकल्प सवेरा। राष्ट्रोत्कर्ष अभियान यात्रा के तहत धर्मसभा के परिप्रेक्ष्य में पूर्वाम्नायगोवर्धनमठ पुरी पीठ (ओडिशा) के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती अपने तीन दिवसीय प्रवास पर शनिवार को यहां पहुंचे थे।
उन्होंने जिला पंचायत के डाक बंगला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि देश के मठ-मंदिरों को शासन के नियंत्रण से मुक्त किया जाए। मठ-मंदिरों का संचालन शंकराचार्यों के मार्ग दर्शन में हो।
राजनीति व धर्म के संबंधों पर उन्होंने कहा कि राजनेता पहले राजनीति की परिभाषा जान लें। उन्हें जब राजधर्म का ज्ञान ही नहीं होगा तो उसका पालन क्या करेंगे। वर्तमान में राजनीति का उल्लेख करते हुए स्वामीजी ने कटाक्ष किया कि महत्वाकांक्षा के वशीभूत होकर रामलला को प्रतिष्ठित कर दिया गया। इसीलिए अयोध्या के लोगों ने ही चुनाव में उन्हें नकार दिया।
वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजों की कूटनीति उनके जमाने से अधिक स्वतंत्र भारत में देखने को मिल रही है। शायद अंग्रेज भी आज इस पर मुस्करा रहे होंगे। राजनेता शब्द भेदी बाण चलाने में माहिर होते हैं। इसलिए फूट डालो राज करो की राजनीति करते हैं।
आगामी महाकुंभ में वीआइपी कल्चर की व्यवस्था से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि यह नहीं होनी चाहिए। जो व्यवस्था आम जनता के लिए हो वही मुख्यमंत्री के लिए भी होनी चाहिए। आज जिसे आम जनता कहा जाता है उनके और मातृ शक्तियों के बल पर ही धर्म टिका हुआ है।
शंकराचार्य ने कुछ मामलों को लेकर संतों के बीच मतभेद होने पर कहा कि दर्शन, विज्ञान, व्यवहार व देश, काल, परिस्थिति में जो सामंजस्य रखते हैं उन्हीं की बात प्रभावी होती है।