संकल्प सवेरा इटावा. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव यूपी विधानसभा के चुनावों के करीब आते-आते एक नए गठजोड़ में जुट गए हैं. शिवपाल सिंह यादव की कोशिश का असर यह दिखाई दे रहा है कि आज पीएसपी और राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी सत्य (राजपा) दोनों दल संयुक्त रूप से फिरोजाबाद जिले के सिरसागंज में एक रैली का आयोजन करने जा रहे हैं. राजपा संयोजक शेर सिंह राणा कहना है कि उनके दल की शिवपाल सिंह यादव की पार्टी पीएसपी से गठजोड़ के तहत पहली रैली का आज आयोजन किया गया है. इसमें दोनों दलों के प्रमुख नेता शामिल होंगे.
इस रैली में शामिल होने के लिए पीएसपी प्रमुख शिवपाल सिंह यादव लखनऊ से शुक्रवार देर शाम इटावा पहुंच गए हैं. आज 12 बजे के आसपास होने वाली रैली के लिहाज से शिवपाल सिंह यादव अपने आवास से 11 बजे फ़िरोज़ाबाद के लिए निकलेंगे. बता दें शिवपाल सिंह यादव लगातार समाजवादी पार्टी से गठबंधन की पैरोकारी करने में जुटे हुए हैं लेकिन अभी तक उनकी समाजवादी पार्टी स्तर पर कोई स्पष्ट मत नहीं बन सका है. इसी बीच एकाएक शिवपाल सिंह यादव राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी सत्य के साथ संपर्क में आ गए हैं.
दोनों दलों के प्रमुखों नेता आज फ़िरोज़ाबाद जिले के सिरसागंज में रामलीला मैदान में अपनी ताकत दिखायेंगे. राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी सत्य की ओर से जारी की गई प्रेस विज्ञप्ति में स्पष्ट किया गया है कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया व राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी सत्य एक प्रेस वार्ता का आयोजन दोपहर 12 बजे रामलीला मैदान में कर रही है. इसे पीएसपी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव राजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवती राणा मिलकर के संबोधित करेंगे. इसमें देश में बढ़ती महंगाई बेरोजगारी मुख्य मुद्दा होंगे.
फूलन देवी की छोटी बहन भी शेर सिंह राणा के साथ होंगी मंच पर
सिरसागंज विधानसभा की जनता को राजपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवती राणा, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव, क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शिवराम सिंह गौर, शेर सिंह राणा, पूर्व सांसद फूलन देवी की छोटी बहन मुन्नी देवी, राजपा के संस्थापक सदस्य इमाम मोहम्मद तसनीम, एससी प्रकोष्ठ प्रभारी संजय बाल्मीकि संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे.
यूपी में सियासी जमीन की तलाश में हैं दोनों दल
बताते चलें कि चाहे पीएसपी या फिर राजपा दोनों दलों को अभी तक जनमत के तौर पर ना तो संसदीय चुनाव ओर ना ही विधानसभा चुनाव में किसी भी स्तर की कोई कामयाबी मिली है. ना ही दोनों दलों का कोई जनप्रतिनिधि निर्वाचित हुआ है. दोनों दल अपना जमीनी आधार पर खड़ा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.