वैश्विक प्रतिस्पर्धा में विज्ञान: आशुतोष त्रिपाठी
संकल्प सवेरा,जौनपुर। विज्ञान एक अभिशाप है या वरदान इस प्रकरण पर प्रेस वार्ता में अपना विचार देते भौतिकी प्रवक्ता आशुतोष त्रिपाठी (शोधार्थी)ने कहा कि विज्ञान के बारे मे कहना और समझना बहुत मुश्किल सा काम है। अगर सही शब्दों में देखा जाए तो विज्ञान मनुष्य जीवन के लिए एक वरदान के रूप में भी सही साबित हुआ है तो इसके कुछ गलत प्रभाव की वजह से यह एक अभिशाप भी बन चुका है। विज्ञान अपने आप से नहीं बना है, इसको मनुष्य के द्वारा ही बनाया गया है।
यह समझना सभी के लिए थोड़ा मुश्किल है कि विज्ञान से मनुष्य बना है या फिर मनुष्य से विज्ञान बना है। मनुष्य ने समय के साथ आगे बड़कर नई-नई खोज करके उन का आविष्कारक करके ही विज्ञान को बनाया है। यह काम करना मनुष्य के द्वारा ही संभव हो पाया है। इसीलिए दोनों बातें अलग जरूर है पर एक ही है। मनुष्य विज्ञान से और विज्ञान मनुष्य से बना है।विज्ञान और प्रौद्योगिकी हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
हम अपनी अलार्म घड़ियों के बजने से सुबह उठते हैं और रात को अपनी लाइट बंद करके बिस्तर पर चले जाते हैं। ये सभी विलासिता जो हम वहन करने में सक्षम हैं, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का ही परिणाम हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, हम यह सब थोड़े समय में कर लेते हैं क्योंकि यह केवल विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रगति के कारण संभव हुआ है।भौतिकी बुनियादी भौतिक विज्ञान है ।
हाल के समय तक भौतिकी और प्राकृतिक दर्शन का उपयोग विज्ञान के लिए परस्पर उपयोग किया जाता था जिसका उद्देश्य प्रकृति के मौलिक नियमों की खोज और निर्माण करना है। जैसे-जैसे आधुनिक विज्ञान विकसित हुआ और तेजी से विशिष्ट होता गया l इस लिए विज्ञान हम सभी के लिए वरदान आए मिलकर देश के विकास में हम सभी भागी बने l