एै खुदा.. ये तेरा सितम है या इम्तिहान
नौ बरस की उम्र में “गरीबी” और “यतीमी” दोनों का जख्म सह रहा है सौरभ निषाद
रिपोट जेड हुसैन बाबु 
संकल्प सवेरा जौनपुर के कथित सामाजिक संस्थाओं और जनप्रतिनिधियों को आइना दिखाती यह तस्वीर
जौनपुर। यतीमी (अनाथ) से बड़ा शायद ही कोई दर्द इस दुनियां में हो, क्योंकि जिस दर्द को बयां नहीं महसूस किया जाये वो जख्म और दर्द बहुत ज्यादा देता है। एक ऐसा ही दर्द भरा नजारा नगर के ओलन्दगंज में देखने को मिला। महज नौ बरस की छोटी सी उम्र में नगरीय क्षेत्र के हरदीपुर गांव का रहने वाला राहुल निषाद अपने छोटे-छोटे हाथों में बांस के बने बल्ली में बच्चों के खाने का मीठा सामान लेकर बेचते दिखा। जितना बड़ा वो खुद नहीं था उससे कहीं ज्यादा बड़ा उसके हाथों में बांस का बना बल्ली था, जिसके चारों तरफ उसने खाने-पीने की चीजें टांग रही थी। इसके अलावा छोटे झोले में चिप्स और बिस्कुट था। बतातें चलें कि जब राहुल चेतना शून्य था तभी उसके माता-पिता इस दुनियां-ए-फानी को छोड़कर चले गये। मतलब यतीमी का दर्द उसे जिन्दगी की इब्तेदा से ही मिल गया था और उस पर गरीबी ने और नमक छिड़क दिया। पत्रकार के सवाल करने पर उसने बताया कि हम जब छोटे से थे तभी माता-पिता हम दो भाई और एक बहन को छोड़कर इस दुनियां से चले गये। राहुल से छोटा एक भाई है और एक बहन। पूछने पर उसने बताया कि मै दिनभर शहर में घूम-घूमकर सामान बेचता हूं शाम तक जो भी पैसा मिलता है उसे अपने घर ले जाता हूं और खाना बनाकर अपने भाई-बहन को खिलाता हूं। अभी हमारी मामी घर पर आई हैं और वहीं हम दो भाईयों और बहन को खाना बनाकर खिलाती हैं। जब वो अपने घर चली जायेंगी तो ये जिम्मेदारी फिर मेरे ऊपर आ जायेगी। हमारे जिले में कई ऐसे समााजिक संगठन है जो दावा करते हैं कि हमारी संस्था गरीबों, यतीमों और मजलूमों के लिए लगातार काम करती है लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है। जिले में तमाम बड़े अधिकारी है सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं है, जनप्रतिनिधि भी है फिर भी राहुल जैसे न जाने कितने यतीमों तक सरकार की योजनाएं और सामाजिक संगठनों की मदद क्यों नहीं पहुंच पा रही है यह तो अपने आपमें खुद एक सवाल है। हमारे जिले में दर्जन भर से अधिक उद्योगपति है। जिसमें से अधिकतर विभिन्न सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। ऐसे में समाचार के माध्यम से ये आवाज अगर उन लोगों तक पहुंच रही है तो राहुल निषाद की मदद की दरकार है।
                                
	                            
                                                             
	    	 
                                












