चित्रकूट
कलिपावनावतार संत गोस्वामी तुलसीदास जी की जन्म जयंती पर आयोजित श्रीराम कथा में कथा बयास पद्म विभूषण जगदगुरु श्री रामभद्राचार्य जी ने कहा कि आज जन्म जयंती के अवसर पर कुछ आवश्यक चर्चा करूंगा जो कुछ विदत जन अनभिज्ञ हैं। तुलसीदास जी ने अभजित मुहूर्त में जन्म लिया था यह बात गलत है। इस बात का ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। संवत 1580 ईसवी मे ऐसा हुआ था कोई साहित्यिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। दुसरा जन्म लेने के बाद गोस्वामी जी की माता- पिताजी की मृत्यु हो गई थी। यह घटना सत्य है इनका पालन- पोषण पार्वती जी ने किया था। तीसरी घटना में कहा जाता हैं कि गोस्वामी जी का विवाह रत्नावली से हुआ था यह बात सिद्ध नहीं है । तुलसीदास जी बालकालीन साधु थे। बालकालीन साधु संतों का अपना अलग महत्व होता है। भारत के लिए गोस्वामी जी ने महाकाव्य श्री राम चरित मानस जैसे अद्भुत ग्रंथ जन मानस को दिया। आज मैं तुलसीपीठ में समायोजित 43 वी तुलसी जयंती के अवसर पर तुलसीपीठ के परिसर में ऐतिहासिक मानस मंदिर के मेरी रामकथा की ऋंखला मे 1286 वी रामकथा के छठवें सत्र में संस्कार चैनल के माध्यम से देख रहे देश – विदेश में मेरे राघव परिवार के भगिनी ,बंधुओं को मेरा बहुत – बहुत आशीर्वाद देता हूँ। इस अवसर पर तुलसी पीठ के युवराज व उतराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास ने कहा कि आज के ही दिन तुलसी जयंती पर विगत वर्ष पूर्व विरक्त दीक्षा लेकर मेरे गुरूदेव ने इस बालक को अपने चरणों में सथान देकर उपकृत किया है।यह दास जीवन भर चरणों में आपकी सेवा करेगा। आपको पता है कि हम सब जिस उतसव की प्रतिक्षा कर रहे थे वह समय आ गया जो गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती महोत्सव हषोल्लास से मनाने के लिए उतसुक है। आपका जन्म चित्रकूट के राजापुर गांव में आविभाव हुआ था । गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती राघव परिवार व तुलसीपीठ की ओर से सभी को शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ। इस दास का सौभाग्य हैं कि मेरे आराध्य पूज्य गुरुदेव और पिताजी सभी आप ही है।आपके चरणों में मेरा वंदन , अभिंनदन हैं। उक्त आशय की जानकारी दिब्यांग विश्वविद्यालय के पीआरओ एस0 पी0 मिश्रा ने दी।