ताड़का के बध से भगवान राम के जयकारे से गूंज उठा रामलीला पंडाल
संकल्प सवेरा राक्षसी ताड़का के जमीन पर गिरते ही मछलीशहर विकास खण्ड के ग्राम बामी का रामलीला पंडाल भगवान श्री राम के जयकारों से गूंज उठा। इससे पूर्व राक्षसों द्वारा यज्ञ में बार- बार विघ्न डालने पर विश्वामित्र अयोध्या जाकर राक्षसों के संहार के लिये राम- लक्ष्मण को लाने का निश्चय करते हैं और राजा दशरथ के पास जाकर उनके दोनों पुत्रों को मांगते हैं लेकिन पुत्र मोह में वह बालकों के सुकुमार होने का तर्क देते हैं
और स्वयं अपनी सेना के साथ राक्षसों के बध के लिए जंगल चलने का प्रस्ताव रखते हैं किन्तु विश्वामित्र क्रोधित होकर महल से बाहर जाने लगते हैं तब गुरु वशिष्ठ के समझाने पर राजा दशरथ विश्वामित्र को समझाकर वापस लाते हैं और राम-लक्ष्मण का हाथ पकड़ कर उसे उनके हाथों में सौंप देते हैं। जंगल के रास्ते में ही राम का सामना ताड़का से हो जाता है,एक बार तो उसे स्त्री होने के कारण उसका बध करने से संकोच करते हैं लेकिन विश्वामित्र उन्हें समझाते हैं
कि वह स्त्री के साथ आंतकिनी भी है इस पर राम ताड़का पर बाण चला देते हैं और वह कराहती हुई जमीन पर गिर जाती है। ताड़का की मृत्यु का समाचार जब उसके पुत्र मारीच और सुबाहु सुनते हैं तो वे अपनी सेना लेकर राम से युद्ध करते हैं लेकिन राम के बाणों की बौछार से खल दल में खलबली मच जाती है,
सुबाहु मारा जाता है और मारीच लंका में जा गिरता है ।यज्ञ बिना विघ्न के सम्पन्न होता है विश्वामित्र भाव विभोर हो पड़ते हैं और पूरा आश्रम श्रीराम के जयकारे से गूंज उठता है, पर्दा गिर जाता है। सोमवार की रात सीता स्वयंवर का मंचन होगा।इस अवसर पर रामलीला समिति बामी के प्रबंधक शैलेन्द्र सिंह सहित बामी सहित क्षेत्र के कई गांवों के बहुत से दर्शक मौजूद रहे।