राम हमारे दिल के भीतर और शिवा से प्राण है:सुमित
संकल्प सावेर, जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की मासिक काव्य गोष्ठी 15 दिसम्बर की शाम बाबू रामेश्वर प्रसाद सिंह सभागार रासमंडल में वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश कुमार गिरीश की अध्यक्षता में संपन्न हुई। गोष्ठी के मुख्य अतिथि रामजीत मिश्र पूर्व प्राध्यापक नवोदय विद्यालय रहे। माँ वीणा वादिनी के वंदना के पश्चात कमलेश कुमार ने दोहा–है मौसम बदला हुआ,झुर-झुर बहे बयार।
नहीं भूलता है मुझे,
गोरी तेरा प्यार। ।खूब पसंद किया गया।नंदलाल समीर का गीत–द्वार पर फिरता रहता एक फकीर हूँ/हर पल बहता रहता,शांत समीर हूँ।सबको अपनी मस्ती में डुबो गया।डॉक्टर संजय सागर का गीत–दिल के तारों को ऐसे न छेड़ा करो/मन की मदिरा अभी ये छलक जायेगी।रूमानियत और मांसल सौंदर्य की अनुभूति करा गया तो वहीं सुमति श्रीवास्तव का गीत..राम हमारे दिल के भीतर और शिवा से प्राण है।अध्यात्म का भाव जगा गया।अशोक मिश्र की रचना–कब से विकल जोहती सरयू /आओगे कब मेरे राम/सरयू की विकल प्रतीक्षा का मार्मिक चित्रण कर गई।
ख्यात गीतकार जनार्दन प्रसाद अष्ठाना का गीत–अपना ही चेहरा विकृत हुआ/तो सारे दर्पण क्यों तोड़ें/सामाजिक-राजनीतिक वातावरण पर गंभीर टिप्पणी करता लगा तो वहीं प्रो. आर.एन.सिंह की पंक्ति–सौ सौ चूहे खाकर /बिल्ली गंगा चली नहाने को/पाखंड पर करारा प्रहार कर गई। राम जीत मिश्र का शेर–लोग आने की खुशी में भूले/मुझको हर गाम वापसी दिखती/खूब पसंद आया।
गिरीश कुमार गिरीश शेर–मुखौटे में न खो जाए/तुम्हारा रूप रंग चेहरा/मुखौटे पर मुखौटा यार कब तक तुम लगाओगे।सामाजिक ताने बाने पर गहरा चोट कर गया। गोष्ठी में संजय सेठ,विनय कांत मिश्र और फूल चंद भारती ने प्रतिभाग किया।
संचालन अशोक मिश्र और आभार ज्ञापन डाक्टर विमला सिंह ने किया।