करोना में राम बाण है मनोचिकित्सकीय ‘पंचामृत’
प्रो. आर . एन. सिंह (सेनि)
वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक बी. एच. यू., वाराणसी
संकल्प सवेरा सम्प्रति करोना से चौतरफ़ा भय, आशंका, असुरक्षा एवं ऊहापोह का माहौल है। लाखों लोग अपनी जान गवां चुके हैं और अभी भी इसका तांडव जारी है। कोविड रोगियों की बढ़ती संख्या, संसाधनों का अकाल, ऊपर से कालाबाज़ारी एव जमाख़ोरी ने समस्या को और भी बेक़ाबू बना रही है। पैसे के लिए कुछ लोग कितना गिरेंगे, अंदाज़ा लगाना मुश्किल है। आम आदमी त्रस्त है, व्यवस्था पस्त है परंतु उचक्के मस्त हैं।ये अजीब दौर है। धार्मिक ग्रंथों में राक्षसों का उल्लेख मिलता है। मुझे तो लगता है आज के असुर उनसे भी कहीं ज़्यादा गिरे हुए एवं ख़तरनाक हैं।
ख़ैर छोड़िए इन बातों को क्योंकि महज़ अफ़सोस करने से काम नही चलेगा। कुछ ज़रूरी मंथन करना होगा, ताकि हम ख़ुद की एवं समाज की भी इस ख़तरनाक यमराज से रक्षा में सहायता कर सकें। तो आइए करोना के सम्बंध में कुछ उपयोगी जानकरियाँ साझा करते हैं, जो करोना के बारे में हमारा ज्ञान वर्धन तो करेंगी ही, साथ ही बचाव के उपायों पर भी रोशनी डालेंगे।
ख़तरे की घंटी
करोना संक्रमण होने पर शुरू में बुख़ार, सूखी खांसी एवं थकान के लक्षण आते हैं। आदमी को तुरंत जाँच कराना चाहिए, ताकि स्थिति बिगड़ने न पाए। इनके अतिरिक्त शरीर में दर्द, सिर दर्द, गले में खरास, दस्त, स्वाद एवं गंध का न होना, त्वचा या अंगुलियों के रंग में परिवर्तन संक्रमण की गम्भीरता दर्शाते है। ऐसे में चिकित्सक से सलाह ज़रूरी हो जाती ह। यदि सीने में दर्द हो , साँस में कठिनाई आए, आक्सीजन स्तर में कमी हो तो तो संक्रमण गम्भीर होने का लक्षण है। ऐसा होने पर अस्पताल में भर्ती आवश्यक हो जाती है।
ध्यान रहे कि करोना का गम्भीर रूप अचानक नही आता है, बल्कि कुछ प्रारम्भिक लक्षण आते हैं, और उसी समय संभल जाना चाहिए। इस अवस्था में संक्रमण हल्का होता है, पर वाइरस की संख्या बढ़ती है। दूसरी अवस्था में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, कफ बढ़ जाती है, साँस की समस्या आ जाती है। रक्त जमाव भी होता है। तीसरी अवस्था में करोना शरीर को और भी कमजोर कर देता है। हृदय एवं किडनी भी संक्रमित हो जाती है। यह गम्भीर अवस्था है। संक्षेप में, करोना के लक्षण 5-6 दिन के भीतर स्पष्ट होने लगते हैं।
कोरोना के निवारण का ‘पंचामृत’
जिस प्रकार पूजा में प्रयुक्त पंचामृत के बारे में मान्यता है कि उससे मन को शांति मिलती है, ऊर्जा का संचार होता है, आत्मबल बढ़ता है , उसी प्रकार कुछ हार्मोन्स हमारी प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते है, मन में ख़ुशी का भाव पैदा करते है और स्वास्थ्य के संकट को कम करते हैं। इन्हें सुखद भाव वाला हार्मोन कहते हैं।
आइए कुछ ऐसे सुखद भाव वाले हार्मोन के बारे में बात करते हैं। डोपामाइन हार्मोन सुखद एवं प्रेरक भाव उत्पन्न करता है। सेरोटोनिन हार्मोन अच्छी मनोदशा निश्चित करता है। ऑक्सीटोसिन हार्मोन विश्वास को बढ़ाता है और एंडॉर्फ़िंन पीड़ा से मुक्ति में सहायक है। ये हार्मोन्स अंतःस्रावी ग्रंथियों उत्पन्न करती हे।
ख़ुद बढ़ाइए सुखद हार्मोन
बेहतर प्रतिरोधी क्षमता एव प्रसन्नता बढ़ाने के संदर्भ में जिन प्रमुख हार्मोन्स का उल्लेख किया गया है, आप उन पर ख़ुद भी नियंत्रण कर सकते हैं। आप के आस पास अच्छा परिवेश हो और आप की उचित व्यवहार शैली सुखद भावनायें एवं सकारात्मक विचार उत्पन्न करते हैं , जो रोगों से लड़ने की क्षमता में इज़ाफ़ा करते हैं।
कुछ मुफ़ीद नुस्ख़े
शोधों का निष्कर्ष है कि नियमित व्यायाम से प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है, साथ में यह पॉज़िटिव हार्मोन के स्राव को भी बढ़ाता है। मन को प्रसन्न करने वाले कार्यों को करने से ख़ुशी बढ़ती है और ख़ुशी से सम्बंधित हार्मोन्स सेरोटोनिन एवं एंडॉर्फ़िन का भी स्राव बढ़ता है। प्रातः काल में धूप का सेवन बहुत ही लाभकारी है क्योंकि इससे हड्डियाँ मज़बूत होती है, प्रतिरोधी शक्ति बढ़ती है और सेरोटोनिन हार्मोन में भी वृद्धि होती है जो तनाव को कम करता है। ध्यान रहे, पौष्टिक भोजन बहुत ज़रूरी है। हमारे भोजन में अमीनो ऐसिड उपलब्ध करने में बहुत महत्वपूर्ण है। फल, सूखे मेवे, अंडे आदि बहुत लाभकारी हैं। इससे सेरोटोनिन का स्राव बढ़ता है, जो आदमी को खुश रखने में बहुत ही लाभकारी है। इन सबके अतिरिक्त आइसोलेसन, मास्क एवं उचित दूरी को व्यवहार में लाना न भूलें। करोना हार जाएगा।
ख़ुशी के भाव को बढ़ाने वाले चार प्रमुख हार्मोन्स एवं संकट में हमारी जीवन शैली ही वह ‘पंचामृत ‘है, जो कोरोना की चुनौतियों का सामना करने में हमारे लिए राम बाण की तरह कारगर होगा। इसे आजमाएँ, सुखद परिणाम सुनिश्चित है।