आदर्श रामलीला धर्म मंडल उसरौली शहाबुद्दीनपुर गांव में मंगलवार की रात अभिनेताओं के द्वारा अभिनीत किए गए वनवासी राम को मनाने चित्रकूट में पहुंचे भाई भरत को देख दर्शकों की आंखें भर आयीं। नेपथ्य से ‘ प्रभु करि कृपा पाँवरी दीन्हीं, सादर भरत शीश धरि लीन्हीं। मानस की चौपाई का सस्वर वाचन होते ही दर्शक भाव विह्वल हो गए।
भरत, शत्रुघ्न सभी माताओं, गुरू और और अयोध्या की प्रजा के साथ आता देख लक्षमण क्रोधित होकर युद्ध की तैयारी करने लगते है। प्रभु श्रीराम उन्हे समझाते हुए कहते है कि यदि भरत को अयोध्या ही नहीं स्वर्ग का भी सिंहासन दे दिया जाय तो भी वह राज्य का लोभी नहीं हो सकता। तभी पहुँचें भरत दूर से ही भागते हुए भगवान के चरणों में गिर जाते है। सभी अयोध्या वासी उनसे वापस लौट चलने का आग्रह करते है। लेकिन भगवान ने पिता को दिए बचन का हवाला देकर भरत को ही राज सिंहासन पर विराजमान रहने का अनुग्रह करते है। जो भरत को स्वीकार नहीं था। त्याग, बलिदान और प्रेम की प्रतिमूर्ति भरत के चरित्र को देख दर्शकों की आंखें छलक पड़ी। गुरु वशिष्ठ की बतायी युक्ति से भगवान की चरण पादुका सीस पर धारण कर भरत जब अयोध्या की ओर चलते है। इस दृश्य को देख दर्शक फफक पड़े।
रामलीला में सूर्पनखा की भूमिका निभा रहे सांवले शर्मा और हास्य कलाकार राधेश्याम उपाध्याय व अजय पाण्डेय के अभिनय की खूब सराहना की गई। रामलीला का उद्घाटन प्रधान संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीकृष्ण पांडेय बड़कऊ ने फीता काटकर किया। इस मौके पर बद्री प्रसाद पाण्डेय, राजन मिश्रा, राजू सिंह, अनुपम पंडित, मुन्ना पाण्डेय, संतोष शर्मा, इन्दिरापति पाण्डेय आदि मौजूद रहे। संचालन प्रियतोष पाण्डेय ने किया।












