* अवध महोत्सव में लक्ष्य संस्था द्वारा कवयित्री सम्मेलन आयोजित *
लखनऊ । स्थित बंगला बाजार, सेक्टर जे, रेलवे नगर विस्तार कॉलोनी साहित्यिक में सामाजिक सांस्कृतिक संस्था लक्ष्य सेवा संस्थान द्वारा अवध महोत्सव में कवयित्री सम्मेलन आयोजित हुआ। कार्यक्रम में युवा कवयित्री शिखा सिंह प्रज्ञा और ख़ुशबू पांडेय को लक्ष्य संस्थान की तरफ से सम्मानित किया गया। डॉ शोभा दिक्षित ‘ भावना ‘ जी की अध्यक्षता और सुश्री निशा सिंह नवल के संचालन में शानदार कार्यक्रम हुआ। जहां कार्यक्रम की
अतिथि श्रीमती रेनू वर्मा ‘ रेणु ‘जी रहीं, वहीं कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती अनीता सिन्हा जी रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत स्वधा रविन्द्र ‘उत्कर्षिता’ जी के वाणी वंदना से हुई, काव्यपाठ का शुरुआत रेनू द्विवेदी जी के “तुमपर अपनी जान लुटाऊँ, सोच रही हूँ जानेमन! धड़कन की रफ्तार बढाऊँ, सोच रही हूँ जाने मन!” के शानदार पंक्तियों से हुआ, इसके पश्चात् युवा कवयित्री शिखा सिंह ‘ प्रज्ञा ‘ ने “जो है इज्ज़त तिरा गहना तो क्या कहना, बिना इज्ज़त के इस दुनिया में क्या रहना, न तोड़ा हो कभी तुमने रिवाजों को, तो फ़िर शर्मिंदगी भी यार क्यूं सहना” पढ़ कर लोगों को जीवन का सही अर्थ समझाई। इसी क्रम में कवयित्री अनीता सिन्हा ने “याद आ रहा मुझको बीता हुआ कल जो बिसरा नहीं था कभी एक पल, मुन्नू चला है पढ़ने आज, अाई है दिल से आवाज ” प्रस्तुति दी। कवयित्री डाॅ. नीलम रावत ने “बिन धरा के समय यह गुजरता नहीं, ख्वाब आँखों में कोई भी पलता नहीं, रात भर अंक में भर धरा चल रही, वरना सुबह यह सूरज निकलता नहीं” सुनाया, कवयित्री डॉ शोभा दीक्षित ‘भावना’ ने “रोज़ खर्चें का मैं हिसाब नहीं, सब सवालों का हूँ जवाब नहीं, पढ़ के रख दो मुझे तिजोरी में-मैं वो शुभ-लाभ की किताब नहीं” सुनाकर लोगों के दिल जीत लिया। इसी क्रम में भारती पायल ने “खुशियों भरा हैं चमन बेटियाँ, हो रहीं आज फिर क्यों हवन बेटियाँ, बेटियों को बचाने बढ़े हाथ जो, कर रहीं उन करों को नमन बेटियाँ ” सुनकर लोग भाव विभोर हो गए। कवयित्री अर्चना सिंह ने “मुझे उम्मीद से ज्यादा मिला है,रखा कदमों मे जबसे हौसला है, मुझे कर्मों पे अपने है भरोसा, मुकद्दर से नही शिकवा गिला है” सुनाकर वाहवाही लूटी,कवयित्री प्रतिभा गुप्ता जी ने “मेरी कड़वी बातों से, कहीं कोई तो जग जाए, कहती हूँ मैं बात खरी,बुरी लगे तो लग जाए” सुनाया, वहीं कवयित्री निशा सिंह नवल ने “चंद्रमा तुम बनो तो बनूँ मैं रती, सर्वदर्शन प्रिये मैं स्वधा गुणवती, अनगिनत रूप हमने धरा पर धरे, शिवा युगों के मेरे मैं तुम्हारी सती ” पढ़ा। काव्यपाठ के क्रम का अंत युवा कवयित्री ख़ुशबू पाण्डेय ” जब माटी, रण से पुकारेगी हर संतान शमशीर उठा लेगी, जब जब भ्रांति टूटेगी, निज हृदय से क्रांति फूटेगी से हुआ। कार्यक्रम में श्रीमती डॉ शोभा दिक्षित ‘ भावना’ , श्रीमती रेनू वर्मा ‘ रेणु ‘ श्रीमती अनीता सिन्हा, श्रीमती रेनू द्विवेदी, श्रीमती प्रतिभा गुप्ता, श्रीमती भारतीय अग्रवाल ‘ पायल ‘, सुश्री निशा सिंह नवल, श्रीमती डॉ नीलम रावत, सुश्री अर्चना सिंह, शिखा सिंह ‘ प्रज्ञा ‘, सुश्री ख़ुशबू पांडेय ,श्रीमती स्वधा रवींद्र ‘उत्कर्षिता’ कवयित्रियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम के अंत में डॉ शोभा दीक्षित भावना एक सुंदर गीत सुनाकर सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया।