भगवान का चिंतन करते हुए प्राण त्यागने से मिलता है मोक्ष: आचार्य प0 पुष्पराज जी महाराज
मुंगराबादशाहपुर ,जौनपुर। श्रीमद्भागवत महापुराण हमे मोक्ष पाने का मार्ग बताती है । ये बातें धौरहरा गांव निवासी लालजी सरोज “सुदामा” के आवास पर चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन चित्रकूट से पधारे आचार्य पंडित पुष्पराज जी महाराज ने राजा परीक्षित की कथा प्रसंग कहते हुए कही ।
उन्होंने आगे बताया कि परधन में कलयुग का वास होता है जो बुद्धि एवं विवेक को भ्रष्ट कर देता है । महाराज परिक्षित के परधन के धारण करने पर ही कलयुग ने उनकी बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया तथा उन्होंने समाधिस्थ ऋषि के गले में सांप को लपेट दिया । उन्होंने बताया कि पिता का अपमान पुत्र सहन नहीं कर सकता। श्रृंगीऋषि भी पिता का अपमान बर्दाश्त नहीं कर सके और उन्होंने महाराज परिक्षित को श्राप दे दिया कि मृत सांप को जिसने भी पिता के गले में डाला है आज के सातवें दिन उसकी सांप के काटने से मौत हो जाएगी । उन्होंने ज्ञान की गंगा में श्रद्धालुओं को सराबोर करते हुए परमात्मा का चिंतन करने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि परमात्मा का चिंतन करते हुए प्राण त्याग करने से मोक्ष प्राप्त होता है । उन्होंने बताया कि रामायण से हमें जीवन जीने की कला का ज्ञान होता है जबकि श्रीमद् भागवत से मृत्यु पाने की कला का ज्ञान होता है । उन्होंने कहा कि कहा गया है कि अंत भला तो सब भला । श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण जीवन मृत्यु से मुक्ति दिलाती है । उन्होंने लोगों से श्रीमद् भागवत कथा के ज्ञान की गंगा में डुबकी लगाने हेतु कथा श्रवण करने की अपील की ।इस अवसर पर मुख्य यजमान लाल जी सरोज सुदामा एवं श्रीमती अनारा देवी के साथ ही पं० विसर्जन तिवारी, लालता प्रसाद तिवारी, गौरीशंकर तिवारी, रमाकांत तिवारी, बृजेश पाण्डेय , हरिशंकर तिवारी, राजेंद्र सिंह उर्फ डीसी ,राज कुमार पाल, विजय कुमार , सुरेन्द्र कुमार फौजी , योगेन्द्र कुमार, हरिश्चंद्र, सहित भारी संख्या मे श्रद्धालु जन मौजूद रहे ।












