तेहि अवसर रावन तँह आवा : अशोक वाटिका में विरहाकुल सीता को देख व्यथित हुए हनुमान
जौनपुर,संकल्प सवेरा। आदर्श रामलीला समिति जमालपुर- मदारपुर द्वारा अशोक वाटिका प्रसंग का मर्मस्पर्शी मंचन प्रस्तुत किया गया। सीता की खोज में निकले हनुमान अशोक वाटिका में पहुँच गये। वहाँ वे वृक्षों के पत्तों में छिपकर जानकी का दर्शन कर रहे थे। प्रभु राम के विरह में सीता का शरीर क्षीण हो चुका था। उनके नेत्रों से अश्रुधारा बह रही थी। यह दृश्य देखकर हनुमान व्यथित हो गये। तभी लंकापति रावण वहाँ पहुँच गया। उसने सीता को प्रलोभन देते हुए कहा कि यदि वे उससे विवाह कर लेती हैं तो मन्दोदरी आदि रानियों को उनकी दासी बना देगा।
लंका के समस्त ऐश्वर्यों की स्वामिनी बना देगा। सीता ने उसके प्रस्ताव को ठुकराते हुए कहा – “आँखें मेरी कमलिनी हैं, सूरज समान श्री रघुवर हैं। तेरी ये मदमाती बातें, जुगुनू से भी कमतर हैं।। सीता द्वारा इस प्रकार उपेक्षित किये जाने पर रावण को क्रोध आ गया।
वह तलवार म्यान से बाहर निकाल कर सीता की ओर बढ़ा तभी उसकी पटरानी मन्दोदरी ने उसे रोक दिया। रावण ने चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि यदि सीता एक महीने के भीतर उसकी बात नहीं मान लेती तो उनका सिर