हिन्दी दिवस पर ,”अम्मा”का हुआ लोकार्पण
संकल्प सवेरा, जौनपुर। कोशिश जौनपुर के तत्वावधान मे हिंदी दिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी बाबू रामेश्वर सिंह सभागार में ख्यात शायर अहमद निसार की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
इस पर अवसर गिरीश कुमार गिरीश की रचना ,”अम्मा”का लोकार्पण भी हुआ । पूर्व प्राचार्य टी डी कालेज डा. माधुरी सिंह ने लोकार्पित कृति के भाषा ,शिल्प और कथ्य पर प्रकाश डाला और उसकी लोकग्राह्यता को रेखांकित किया।सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने कवि की संवेदना और अम्मा की ममता और शीतलता और जीवन के प्रति लगाव पर अपनी दृष्टि डाली।प्रो आर एन सिंह ने कहा कि लोकार्पित रचना में कवि ने अम्मा के प्रति अपने भाव को विश्वजनीन बना दिया है।
जनार्दन अष्ठाना पथिक जी ने कवि गिरीश को मानव मन का पारखी कहा और आलोच्य कृति को अम्मा पर लिखी अनूठी रचना कहा। रामजीत मिश्र ने रचना के उदात्त पक्ष पर प्रकाश डाला।दूसरे चरण में कवि समीर ने वाणी वन्दना से काव्य -गोष्ठी का शुभारम्भ किया।अवशर था हिंदी दिवस का तो प्रोफेसर आर एन सिंह ने कहा–हिंदी हर भाषा की पोषक/है सबकी हितकारी हिंदी। वहीं प्रखर जी ने हिंदी की उपादेयता पर कहा–भाषा के नाम पर जब भी बवाल मचा /हिंदी सारे झंझटों से खुद को बचा गयी।पथिक जी की कविता—सूर कबीर कवि तुलसी पद्माकर की रसखान है हिंदी।
खूब पसंद की गयी।
रामजीत मिश्र का शेर–अपने सा क्यों नहीं समझता है औरों को/जीवन छोटा कैसे कड़वे बोल लिये फिरता है/संवेदना को झंकृत कर दिया।
शायर अहमद निसार का शेर–कभी कभी तो कुछ ऐसा जुनून होता है/दिमाग हारे तो दिल को सुकून होता है। जीवन में द्वन्द्वात्मकता की ओर संकेत किया। गोष्ठी में अनिल उपाध्याय, राजेश पाण्डेय, रमेश चंद्र सेठ आशिक जौनपुरी, डॉ संजय सिंह सागर,अंसार जौनपुरी, फूल चंद भारती,अमृत प्रकाश,रुपेश अकेला,संजय सेठ अध्यक्ष जेब्रा, अनिल विश्वकर्मा और अरविंद सिंह बेहोश ने कविता पाठ से गोष्ठी को आनंदित किया। विशेष उपस्थिति के रूप में सूर्य भान उपाध्याय रहे।संचालन अशोक मिश्र ने और आये हुए कवियों के प्रति आभार डॉ विमला सिंह ने ज्ञापित किया।