क्षय रोगियों को सामुदायिक सहायता देने के लिए चल रहा अभियान
टीबी हारेगा-देश जीतेगा अभियान
– पारिवारिक सम्पर्कों में संक्रमण की जांच कराकर बचाव उपचार देने का दो मई से चल रहा अभियान
– हेल्थ केयर वर्कर में क्षय रोग का प्रसार रोकने के लिए शस्त्र एप के माध्यम से की जा रही निगरानी
जौनपुर, संकल्प सवेरा क्षय उन्मूलन की दिशा में उपचाराधीन जनपद के क्षय रोगियों को सामुदायिक सहायता देने का निर्णय लिया गया है। सामुदायिक सहायता के तहत गोद लेने वाला व्यक्ति/संस्था क्षय रोगी के लिए पोषण युक्त खाद्य सामग्री की व्यवस्था करता है। इसके साथ ही उसे दवा का कोर्स पूरा करने के लिए हिम्मत बंधाता है। समय-समय पर जांच करवाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
यह अभियान टीबी हारेगा-देश जीतेगा, टीबी मुक्त अभियान के तहत केंद्र सरकार के निर्देशन में चल रहा है। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ राकेश कुमार ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में जिले में दो मई से क्षय रोगियों और उनके परिवार से सहमति ली जा रही है। अभी तक 2,155 मरीजों से सहमति ली जा चुकी है। सभी ब्लॉक के वरिष्ठ टीबी पर्यवेक्षक क्षय रोगियों से सहमति लेते हुए उनकी आईडी को कम्युनिटी सपोर्ट टू टीबी पेशेंट के माध्यम से निक्षय पोर्टल पर अपलोड कर रहे हैं।
क्षय उन्मूलन अभियान के जिला कार्यक्रम समन्वयक (डीपीसी) सलिल यादव ने बताया कि जनपद में वर्तमान में 3,977 क्षय उपचाराधीन हैं। विश्व क्षय दिवस 24 मार्च को इसमें से कुल 2,357 उपचाराधीनों को सामुदायिक सहायता प्रदान करने के लिए जनपद की स्वयंसेवी संस्थाओं, शिक्षण संस्थाओं एवं विभागीय अधिकारियों ने गोद लिया और वह ही उन्हें पोषण, जांच एवं उपचार में सहायता कर रहे हैं। नए चिह्नित क्षय रोगियों के साथ ही पूर्व में गोद लिए गए सभी क्षय रोगियों की सहमति ली जा रही है।
सितंबर से तीसरा चरण :
क्षय रोग को वर्ष 2025 तक देश से खत्म करने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। 17 मई को जारी शासनादेश के तहत क्षय रोगियों के पारिवारिक सम्पर्कों में क्षयरोग संक्रमण की जांच कराते हुए सभी उम्र के हाउसहोल्ड संपर्कों को टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) दिया जाना है। यह ट्रीटमेंट तीन चरणों में चलेगा। टीबी बैक्टीरिया के सम्पर्क में आने वाले लोगों में क्षयरोग का प्रचार-प्रसार रोकने में टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। जनपद में यह कार्रवाई तृतीय चरण में सितंबर से शुरू होगी। इसके तहत जनपद के सभी सामुदायिक (सीएचसी)/प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी), जिला चिकित्सालय पर टीबी संक्रमण की जांच की जाएगी। जांच के बाद पात्र मरीजों को टीबी यूनिटों से टीबी प्रीवेंटिव औषधि उपलब्ध कराई जाएगी। लक्षण विहीन परंतु ट्यूबरकुलीन स्किन टेस्ट या इगरा पाजिटिव कान्टैक्ट्स की टीपीटी शुरू की जाएगी। इसमें प्रमुख औषधियों का उपयोग किया जाएगा। जितना जल्दी क्षय रोग के लक्षण की पहचान हो सकेगी उतना ही जल्द इलाज शुरू हो सकेगा।
जितना जल्दी इलाज शुरू होगा उतना ही जल्दी संक्रमण फैलने की दर को कम किया जा सकता है। यदि रोगी ने एक महीने क्षय नियंत्रण औषधि का सेवन कर लिया है तो वह दूसरे व्यक्ति में संक्रमण नहीं फैला पाएगा। इसलिए पहचान होने के 48 घंटे के भीतर क्षय रोग का उपचार शुरू कर दिया जाता है।
हेल्थ केयर वर्कर की शस्त्र एप से निगरानी: सेंट्रल टीबी डिवीजन नई दिल्ली ने हेल्थ केयर वर्करों की टीबी सर्विलांस के लिए शस्त्र एप विकसित किया है। इस एप में सभी हेल्थ केयर वर्करों की जांच, माइक्रोस्कोपी, सीबीनेट, एक्स-रे एवं उनके कफ साउंड की रिकार्डिंग शस्त्र एप पर डाउनलोड की जा रही है, जिससे सभी हेल्थ केयर वर्करों में भी क्षयरोग का प्रचार-प्रसार रोका जा सके। कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार एवं एडवोकेसी के लिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के माध्यम से क्षय रोगियों एवं आमलोगों में जागरूकता बढ़ाने का कार्य शुरू किया जा चुका है।
अभी तक 2,570 की खोज:
इस वर्ष जनपद में कुल 8,500 क्षय रोगियों की खोज का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जिसमें अब तक 2,570 क्षय रोगियों की खोज की जा चुकी है। क्षय रोगियों में एचआईवी, डायबिटीज या तम्बाकू सेवन जैसी अन्य बीमारियों की भी जानकारी लेकर उसे भी पोर्टल पर अपलोड किया जा रहा है। विगत वर्षों की तुलना में पूर्ण उपचार और उनके सक्सेस रेट पर प्रभावी मॉनिटरिंग कर उसे उच्चतम स्कोर पर ले जाने के लिए नियमित अंतराल पर मरीजों की जांच कराई जा रही है।
मृत्यु दर में गिरावट: विगत वर्षों में क्षय रोगियों की मृत्यु दर में गिरावट आई है। 2019 में क्षयरोग से मृत्यु दर छह प्रतिशत थी। 2020 घटकर पांच प्रतिशत हुई। 2021 में और घटकर चार प्रतिशत हो गई। निक्षय पोषण योजना में क्षय उपचाराधीनों के खाते में डीबीटी के माध्यम से प्रति माह 500 रुपये की धनराशि भेजे जाने की व्यवस्था है। इसके तहत उपचाराधीन क्षयरोगी के खाते में प्रतिमाह 500 रुपये की आर्थिक मदद भेजी जाती है। इसका उपयोग वह खाने-पीने की वस्तुएं खरीदने में करता है जिससे वह शीघ्र स्वस्थ हो सके। इसके तहत वर्ष 2021 में कुल 8,486 क्षय उपचाराधीनों को करीब 1.74 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2020 में 8,515 उपचाराधीनों को 2.10 करोड़ की धनराशि का वितरण किया गया।












