मां के कदमों तले होती है जन्नत
मदर्स डे पर विशेष जलालपुर। दुनिया की हर ममता पर मां की ममता भारी है।माँ अनमोल है। उसके चरणों की धूल भी इन्सान के लिये अनमोल है। तभी कहा गया कि मां के कदमों के नीचे जन्नत होती है। कोई भी धर्म मजहब हो वह मां की अहमियत को बखूबी बयां करते हुए कहा है कि मां के दूध के कर्ज से कोई भी इन्सान मुक्त नहीं हो सकता । एक बुजुर्ग के हवाले से यह सुनने को मिला है कि मां के दूध का कर्ज तो दूर प्रसव पीड़ा के समय मां की दर्द से निकली चीख भी अदा नहीं हो सकता । जरा सोचो गर्भ में धारण से लेकर पैदा होने तक नौ माह तक जिस बोझ को मां झेलती है । उस बोझ के कर्ज की अदायगी करना भी नामुमकिन है। पैदा होने के बाद अपने जिगर के टुकड़े को अपने सीने से चिपका रखना ,सर्द के मौसम में जब बच्चा बिस्तर पर पेशाब कर देता तो मां अपने आंचल पर बेटे को सुला देती है और अपने खुद गीले बिस्तर पर सो जाती है। भीषण गर्मी व उमस के मौसम में मां रात भर जाग कर अपने बच्चे को सुलाने के लिये पंख से हवा चलाती रहती है । इस एहसान को भी चुकाया नहीं जा सकता।यही नहीं बच्चे को बाहों से उस समय सहारा देती है जब बच्चा के कदम जमीन पर नहीं पड़ते। दुनिया ने चाहे बेटे के आंसू कभी न देखे हो पर उसके सामने अनगिनत बार बच्चा रोया होगा।कोहनी पर लगी छोटी सी चोट सी खरोंच से लेकर दिल पर लगी हर चोट को बच्चे से ज्यादा खुद मां सहती है। बच्चे की होने वाली परीक्षा से ज्यादा मां परीक्षा देती है। बच्चे की चाहे कोई गलती मां से भले छिपी रहती है किन्तु मां बच्चे की हर छोटी बड़ी गलती को जमाने से छिपा लेती है।बच्चे के हर कमजोरी को मां अपनी ममता का मरहम लगाकर हर तरह से मजबूत बनाती है।बच्चे की हर सफलता को देकर मुस्कुराकर खुश होती है। जन्म देने वाली माँ की ममता को बार बार सलाम । प्यारी माँ के लिये चंद लाइनें समर्पित—-