भारतीय मनोविज्ञान परिषद एवं जूहारी देवी महिला कालेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में कोविड-19 से उत्पन्न मानसिक समस्याओं तथा उनके समाधान पर राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। विषय प्रवर्तन करते हुए प्रो. आर. एन. सिंह. बी एच यू, ने करोना से कराहते समाज की मुसीबतों तथा भविष्य की कठिनाइयों की तरफ़ ध्यान खींचा. आप ने कहा कि भविष्य कि तस्वीर बहुत डरावनी है । विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 20 प्रतिशत लोगो की नौकरी हाथ से जा सकती है और 60 मिलीयन लोग बहुत गरीब हो जायेंगे। इससे सामाजिक अराजकता बढ़ सकती है। साथ ही मानसिक समस्याएं भी बढ़ेग। हमें सतर्क रहना होगा।
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रो नीलिमा गुप्ता, कुलपति, कानपुर विश्विद्यालय ने कहा कि आज पूरी दुनिया करोना के संकट से त्रस्त है। उसके कारण न केवल आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ है अपितु पूरी दुनिया हिल गई है। लोगों में नाना प्रकार की मानसिक बीमारियाँ घर कर रही है। ऐसे में मनोवैज्ञानिकों की भूमिका अहम हो जाती है। उन्होंने काउन्सलिंग की व्यवस्था पर बल दिया ताकि हर आयु एवं वर्ग में उलझनो से मुक्त होने एवं विश्वास को बहाल करने की कोशिश की जा सके। इस अवसर पर प्रो अवंत सिंह मदानवत ने सावधानी एवं सुरक्षा की महत्ता को रेखांकित किया। प्रो. मेघना बसु मुंबई विश्वविद्यालय, ने कहा कि लॉकडाउन में एकाकिपन एवं विषाद बढ़ा है, बच्चे बेहद दबाव में है, उन्हें सम्भालने की ज़रूरत है। डॉ. एन के सक्सेना कानपुर ने कहा कि तनाव से लड़ने के लिए मानसिक प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना होगा। प्रो. पी. के. राय सागर विश्वविद्यालय, ने तनाव प्रबंधन में पारिवारिक महत्व को रेखांकित किया। प्रो. रवि ग़ुंथे जोधपुर विश्वविद्यालय, ने कहा कि करोना अभी लम्बा चलेगा, इसलिए सुरक्षा के उपायों पर ध्यान बना रहे, वरन जीवन कठिन हो जाएगा। प्रो. उमा पति सिंह, मगध विश्वविद्यालय, का सुझाव रहा कि मन की शक्ति बढ़ाइए, वर्तमान माहौल में आशा एवं आस्था की महती आवश्यकता है। प्रो. समीर पटेल गुजरात ने मज़दूरों के साहस की सराहना करते हुए कहा कि मानसिक तनावों को रोकने के लिए हमें योगा एवं शारीरिक श्रम को अस्त्र बनाना होगा।
कार्यक्रम का शुभारम्भ कालेज की प्राचार्या डा. रजत चतुर्वेदी द्वारा स्वागत से हुआ। उद्घाटन उद्बोधन प्रबंधक अतुल बागला ने दिया, जबकि कालेज की उपलब्धियों पर प्राक्टर डा. सुधा गुप्ता ने प्रकाश डाला। वेबिनार में देश के विभिन्न भागों से 90 प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किया। डा. निरुपमा दीक्षित ने संक्षिप्त निष्कर्ष प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. सुरभि मिश्रा एवं संचालन डा. साधना यादव ने किया। ड़ा. जगदीश सिंह दीक्षित एवं डा. ओ पी. चौधरी एवं भारतीय मनोविज्ञान परिषद के अन्य पदाधिकारियों से प्राप्त सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डा. नीता मिश्रा, डा आभा सिंह, ड़ा. अमीश, ड़ा. ख़ुशबू मिश्रा, ड़ा. सारिका, एवं ड़ा सिखा वर्मा आदि का सराहनीय योगदान रहा।