कोई भी जंग ताकत से नही हौसलों से जीती जाती है
वाराणसी संकल्प सवेरा। मैं पिछले 10 दिनों तक अस्पताल में रही,जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करते हुए कोरोना को मात देकर अपने परिवार और आप सबके बीच लौटी हूँ। मेरा मानना है कि सकारात्मक सोच को अगर अपना लिया जाए तो कोई भी बीमारी किसी पर हावी नही हो सकती,और दवाएं भी कई गुना तेज़ी से अपना असर दिखाएंगी। उस दौरान मैं स्वयं से हमेशा कहती थी मैं एक योद्धा हूं और मैं जीत कर आऊंगी। कहते है मन के हारे हार मन के जीते जीत। जीत के लिए बस ये वाक्य ही काफी है।
हॉस्पिटल में मैं ऑक्सीजन सपोर्ट पर रही। सर्दी जुखाम और स्वाद और स्मेल चले जाने पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मैंने स्वयं को परिवार से अलग कर दिया,और डॉ से संपर्क करके दवाएं शुरू की लेकिन मेरा फीवर कम नही हुआ,5 दिन बाद मेरी तबियत खराब होनी शुरू हुई ऑक्सीजन 85 पर पहुँचते ही मैंने तुंरत अपने पति को बताया और घरवालों ने बिना समय गंवाएं हॉस्पिटल में एडमिड करवा दिया।
शुरू के एक हफ्ते ऑक्सीजन लेवल नही बढ़ा लेकिन मैंने दवाइयां लेने के साथ-साथ एक-एक सेंकेंड के लिए डीप ब्रीथिंग शुरू की,एक दो दिन बाद जब तबियत ठीक लगने लगी तो सुबह 7 बजे बिस्तर पर बैठे-बैठे हल्का योग,प्राणायाम करने लगी। जब मुझे लगा कि जब मैं ये कर सकती हूं तो और लोग भी कर सकते है। तब मैं वार्ड के 3-4 मरीजों को शुरू में मेडिटेशन और हल्का प्राणायाम जो उनसे हो सकता था कराने लगी और सकारात्मक विचार से उन्हें मोटिवेट करती रही। हॉस्पिटल में एडमिड होने के बावजूद मैं फोन पर मिल रहे व्हाट्सएप के माध्यम से अधिक से अधिक मरीजो के लिए व्यवस्था में तत्पर रही। लेकिन फेसबुक के नकारात्मक विचार से दूरी बना ली। परिवार के संपर्क में लगातार रही।
*कब हो जाये सतर्क*-
यदि कोविड के हल्के लक्षण दिखते है तो स्वयं को आइसोलेट कर लेना चाहिए,और तुरंत डॉ. के संपर्क में आ जाना चाहिए,अपने पास थर्मामीटर,ऑक्सीमीटर रखना चाहिए,ऑक्सीजन हर 2 घंटे पर नापना और टेम्परेचर शरीर गर्म महसूस होने पर नापना चाहिए और एक पेपर पर लिखते रहना चाहिए कि फीवर और ऑक्सीजन का लेवल कितना है।और अपने हाल के बारे में घर वालो को बताते रहे। यदि फीवर दवा के बाद भी नही उतरता और ऑक्सीजन लेवल 94 से कम होने लगता है तो तुरंत घर वालों और डॉ. से संपर्क करें।
ऑक्सीजन लेवल 75-80 होने तक का इंतजार न करें। इस समय केवल मरीज की जागरूकता ही उसकी जिंदगी है। सबसे ज्यादा केस घर पर लापरवाही व जागरूकता की कमी से बिगड़ रहे है।यह चिंतनीय विषय है।
आज की स्थिति देखते हुए हमें पर्यावरण के प्रति सचेत रहने की भी आवश्यकता है। पौधारोपण करना,प्लास्टिक का उपयोग न करना,जल का संरक्षण करना,घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का होना आज बहुत जरूरी है ताकि प्रकृति का संतुलन बना रहे।जो लोग ऑक्सीजन लेकर ठीक हो चुके है उनसे निवेदन है कि वो एक ऑक्सीजन देने वाला पौधा जरूर लगाएं।
धन्यवाद🙏
पायल लक्ष्मी सोनी
संस्थापक/अध्यक्ष
प्रमिलादेवी फाउंडेशन
वाराणसी