क्षत्रिय समाज दहेज प्रथा का उन्मूलन, बेटियों को सम्मान और नशे की लत से दूरी बनाए। यह काम जितनी जल्दी होगा राजपूत समाज उतनी जल्दी तरक्की के द्वार चढ़ेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुंवर अजय सिंह गहरवार ने कहा कि हमारी इच्छा है कि देश की सरकार और निर्णायक संस्थाओं में समाज की भागीदारी सुनिश्चित हो। हम मानते हैं कि आज़ाद भारत के पहले प्रधानमंत्री श्री सुभाष चंद्र बोस थे। वीरांगनाओं का राष्ट्रीय स्तर पर संगठन खड़ा होना चाहिए। वीरांगनाओं के संगठित हुए बग़ैर राजपूत समाज का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है। दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में वीरांगना का बड़ा आयोजन हुआ था। राज्य स्तरीय वीरांगना संगठन खड़ा होना चाहिए। सबसे बड़ी चुनौती है क्षत्रिय रक्त की शुद्धता को बनाए रखना। इसमें हमारा समाज काफी पीछे जा चुका है। वीरांगना महिलाओं को महारानी दुर्गावती शौर्य सम्मान से विभूषित करने की योजना है। दूसरा प्रस्ताव यह है कि प्रदेश नेतृत्व के नाम पर भी विचार हो। राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों में कार्यरत उल्लेखनीय योगदान करने वाली महिलाओं को इस संगठन से जोड़ा जाए। महिला कुशल गृहणी के साथ बेहतर प्रबंधक भी होती हैं। इसलिए उनकी सहभागिता भी बराबर से सामाजिक संगठनों में होनी चाहिए।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री हीरा सिंह भदौरिया ने कहा कि जो भी क्षत्रिय है वह हमारे परिवार का है। समाज का कोई भी व्यक्ति हमारा एक अंग है। हमारा इतिहास रहा है कि यह समाज वीरांगनाओं से भरा हुआ है। हमारे समाज की वीरांगनाएं हर क्षेत्र में फलक पर चमक रही हैं। वीरांगनाएं अपने भाइयों को छोड़कर आगे निकल रही हैं। वीरांगनाओं को हम लोग आगे लाने की कोशिश कर रहे हैं। ईश्वर में भी राधाकृष्ण, सीताराम और उमाशंकर में भी स्त्री संबोधन पहले आता है। सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लाने वाली भी वीरांगना हैं। क्षत्रिय हमारा कर्म है धर्म है। क्षत्रित्व हमारा कर्म है। हमारे समाज पर सभी वर्गों के लोगों की रक्षा का दायित्व है। क्षत्रिय समाज का गरीब से गरीब व्यक्ति भी स्वाभिमानी होता है। समाज के बच्चे पढ़-लिखकर देश में प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त करें। हमें यह प्रयास करने के लिए सबसे अधिक जुटना चाहिए। क्षत्रिय समाज का सुधार शिक्षा के रास्ते से ही होकर आएगा। समाज की डॉक्टरों ने चिकित्सा परिवार कल्याण समिति बनाई गई है। मद्य निषेध और नशा उन्मूलन समिति बनाई गई है। घरेलू हिंसा निवारण समिति के जरिए पीड़ित महिलाओं की लड़ाई हर स्तर पर लड़ी जा रही है।
डॉ. बृजेश सिंह राजावत ने कहा कि क्षत्रिय कोई जाति नहीं बल्कि धर्म होता है। धर्म के लिए न्योछावर होना मेरी परंपरा है। भगवान श्रीराम ने क्षत्रिय धर्म के लिए एक आदर्श स्थिति स्थापित की है। आज क्षत्रिय समाज की स्थिति दयनीय होती जा रही है। दहेज को अगर हम न नहीं कह पाए तो फिर किस धर्म को लेकर चल रहे हैं, यह सोचना पड़ेगा।
संगठन के वीरांगना विंग का प्रदेश संरक्षक श्रीमती जया सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती आशा सिंह और कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती गीता सिंह गहरवार को नामित किया गया। श्रीमती जया सिंह चौहान ने कहा कि दहेज को लेकर समाज को सबसे कठोर निर्णय लेने की जरूरत है। नशे को न कहने की आदत डाली जानी चाहिए।