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कविता
मै अनाथ सी एक लड़की
कैसे कर पाऊं अपनी मर्जी
है चारो ओर अंधेरा
अब छूटा रैन बसेरा
घनघोर घटाएं काली
बारिश है होने वाली
न ईद है मेरी कोई
न है अब कोई दिवाली
मै तन्हा अपनी बहना
न पास है कोई गहना
अब किसको बोलूं साथी
अब तो तन्हा ही रहना
चाहत को कैसे भूलूं
मै झूला कैसे झूलू
मेरा दर्द अब न संभले
मै खुशी को कैसे छुलू
मेरा दिल भी अब तो टूटा
अच्छा बन कर ही लूटा
मेरा आशियां भी छूटा
ये जीवन तो था झूठा
खुशनुमा हयात (एडवोकेट/ कवियत्री)बुलंदशहर उत्तर प्रदेश भारत












