लखनऊ. उत्तर प्रदेश वायु प्रदूषण की स्थिति कई शहरों में चिंताजनक बनी हुई है. स्थिति ये है कि राजधानी लखनऊ देश के तीसरे सबसे प्रदूषित शहर बन गया है. उधर सरकार प्रदूषण के खिलाफ पानी के छिड़काव, फैक्ट्रियों को नोटिस और पराली जलाने पर एफआईआर आदि के निर्णय ले रही है लेकिन फायदा कुछ होता नहीं दिख रहा है. इस बीच पराली मुद्दे पर किसानों पर दर्ज हुई एफआईआर पर अब सियासत भी शुरू हो गई है. मामले में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के बाद अब बसपा सुप्रीमो मायावतीने भी योगी सरकार को घेरा है.
मायावती ने ट्वीट किया है, “यू.पी. में फैले प्रदूषण को लेकर खासकर यहां पराली जलाने की आड़ में किसानों के साथ हो रही जुल्म-ज्यादती अति निन्दनीय. जबकि इस मामले में सरकार को कोई भी कार्यवाही करने से पहले, उन्हें जागरूक व जरूरी सहायता देने की भी जरूरत. बी.एस.पी.की यह मांग.”
उधर मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि पराली (फसल अपशिष्ट) जलाने से होने वाली क्षति के प्रति किसानों को जागरूक करें. किसी भी स्थिति में कहीं भी इस मुद्दे पर किसानों से बदसलूकी सहन नहीं की जाएगी. पराली को लेकर पहले ही गाइडलाइन जारी की जा चुकी है. किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान और नहीं जलाने से होने वाले फायदे के बारे में अभियान चलाकर बताया जाए.
किसानों में फैलाएं जागरूकता
सीएम ने कहा कि किसानों को बताएं कि पराली जलाना पर्यावरण के साथ आपकी जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए भी ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (NGT) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. किसान ऐसा करने की जगह उन योजनाओं का लाभ उठाएं, जिससे पराली को निस्तारित कर उसे उपयोगी बनाया जा सकता है. सरकार ऐसे कृषि यंत्रों पर अनुदान भी दे रही है. कई जगह किसानों ने इन कृषि यंत्रों के जरिए पराली को कमाई का जरिया बनाया है. बाकी किसान भी इनसे सीख ले सकते हैं.
सीएम ने कहा कि किसानों के ये सारी चीजें बताई जानी चाहिए. मालूम हो कि पराली के साथ फसल के लिए सर्वाधिक जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश (एनपीके) के साथ अरबों की संख्या में भूमि के मित्र बैक्टीरिया और फफूंद भी जल जाते हैं. यही नहीं, बाद में भूसे की भी किल्लत बढ़ जाती है.