यूपी में लिफ्ट का रजिस्ट्रेशन और दुर्घना बीमा भी कराना होगा ज़रूरी, एजेंसी की तय होगी जिम्मेदारी
प्रस्तावित लिफ्ट ऐक्ट में लिफ्ट का पंजीकरण अनिवार्य होगा। नियमों के अनुसार, संस्थानों को दुर्घटना बीमा भी कराना होगा। इसे लागू करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक में सीएम ने बातचीत की। लिफ्ट और एस्केलेटर का उपयोग बढ़ रहा है, और उनकी स्थापना, संचालन और रखरखाव में कमी की शिकायतें हैं। साथ ही, इसकी सुरक्षा के लिए ऑटो रेस्क्यू डिवाइस और अन्य सुविधाएं भी होंगी।
लखनऊ,संकल्प सवेरा: प्रस्तावित लिफ्ट ऐक्ट में लिफ्ट का पंजीकरण अनिवार्य होगा साथ ही संस्थानों को दुर्घटना बीमा भी कराना होगा। एक उच्चस्तरीय बैठक में सीएम ने कहा कि शहरीकरण और बहुमंजिला इमारतों के प्रसार से लिफ्ट और एस्केलेटर का उपयोग बढ़ रहा है। अधिक फुटफॉल वाले स्थानों पर लिफ्ट और एस्केलेटर की स्थापना, संचालन और रखरखाव ठीक ढंग से न किए जाने की शिकायतें मिलती हैं। इसका इस्तेमाल सामान्य व्यक्तियों के साथ-साथ बुज़ुर्ग, बच्चे, बीमार व दिव्यांगजन भी करते हैं। इसलिए इसकी स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए प्रकिया तय करना व उसका पालन जरूरी है। देश के दूसरे राज्यों की तरह यहां भी लिफ्ट एक्ट जल्द लागू किया जाए।
ऑटो रेस्क्यू डिवाइस होगा अनिवार्य
सीएम ने कहा कि नई लिफ्ट और एस्केलेटर बनाने वाले प्रत्येक संचालक को चाहे वह निजी परिसर हो या सार्वजनिक उसका पंजीकरण अनिवार्य होगा। पहले से बनी हुई व संचालित लिफ्ट और एस्केलेटर के लिए भी यह अनिवार्य किया जाए। यात्रियों की सुरक्षा के लिए ऑटो रेस्क्यू डिवाइस लगाया जाए, ताकि बिजली आपूर्ति में या अन्य किसी खराबी की स्थिति में लिफ्ट में फंसे यात्री निकटतम लैंडिंग तक पहुंचें और लिफ्ट का दरवाज़ा खुद ही खुल जाए। आपातकालीन घंटी, सीसीटीवी, पर्याप्त रोशनी और लिफ्ट के बाहर संदेश के लिए कम्युनिकेशन प्रणाली भी अनिवार्य की जाएगी।
एजेंसी की तय होगी जवाबदेही
योगी ने कहा कि सार्वजनिक परिसर में स्थापित लिफ्ट और एस्केलेटर के संचालन के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना के समय यात्रियों के जोखिम को कवर करने के लिए बीमा की व्यवस्था हो। संचालन में किसी शिकायत या प्रतिकूल सूचना पर निर्माता या अन्य संबंधित एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान एक्ट में किया जाएगा। किसी भी दुर्घटना की स्थिति में संबंधित थाने को अविलंब सूचना देनी होगी। पंजीकरण की प्रक्रिया, योग्यता, फीस आदि के बारे में भी प्रस्तावित एक्ट में स्पष्ट व्यवस्था की जाए।