प्राथमिकताएं बदल गयी
।। संकल्प सवेरा।।
कभी,नौकरी जिंदगी के लिए थी,
आज ,जिंदगी नौकरी के लिए,
ख्वाबो के हकीकत में बदलने की दास्तां,
खुद की खुशियो के लिए थी,
आज खुद की खुशी, औरों के लिए।
सुकून अब खाने में कहां,
अब खाना, खिलाना है सुकून के लिए।
कभी आप जिम्मेदारी थे,किसी और की,
आज आप है,जिम्मेदारी के लिए।
हर पल, नया लक्ष्य, नई चुनौतियां,
जैसे बने ही हो,इसी के लिए।
कभी किरदार थे किसी कहानी के,
आज रचनाकार है,कहानी के लिए।
वक्त अपने अनुसार चलाने की कोशिश में है,
हम चलते जा रहे,वक्त के लिए।
बस,ऐसे ही चलते जाना है,
समय,काल,परिस्थिति में ढलकर,
खोना और पाना है,
समझ नही आता कि,
जिंदगी हमारे लिए है,
या हम जिंदगी के लिए।
सुशील पांडेय