जिपं अध्यक्ष चुनाव:बीजेपी के चक्रव्यूह को तोड़ पाएगी उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी?
रिपोर्ट राजीव पाठक
संकल्प सवेरा, जौनपुर।एक तरफ जिला का प्रथम नागरिक के चुनाव के लिए नामांकन फॉर्म की बिक्री शुरू भी हो गयी है लेकिन प्रदेश व केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा ने अभी तक प्रत्याशी के नाम की घोषणा नही की है,
हालांकि पहले भी अंतिम समय मे प्रत्याशी घोषित करने का रिवाज बीजेपी में विगत कुछ वर्षों में ज्यादा ही देखने मे आया है किंतु इस बार की परिस्थितिया कुछ और कहानी की रूपरेखा तैयार कर रही हैं।
मल्हनी उपचुनाव के परिणाम व आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा के द्वारा आने वाले दिनों किसी अप्रत्याशित घोषणा हो जाये तो इसे विरोधियों को चारो खाने चित्त करने के लिए चक्रव्यूह की रचना कहना अतिश्योक्ति नही होगी।
सूत्रों के हवाले से मिल रही खबरों पर गौर करें तो बीजेपी मल्हनी उपचुनाव की कहानी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बिल्कुल दोहराना नही चाहती है क्योंकि इसका सीधा असर आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है।
अध्यक्ष पद के चुनाव के लिये जहां सपा ने अपने दावे के अनुरूप अपने प्रत्याशी के रूप में पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती यादव की बहू निशि यादव के नाम की घोषणा कर दी है तो पूर्व सांसद धनंजय की पत्नी श्रीकला सिंह लगातार अध्यक्ष पद के लिए ही चुनाव लड़ने का दावा कर रही हैं।
ऐसे में जिला के प्रथम नागरिक बनने की लड़ाई अभी त्रिकोणीय ही दिखाई दे रही है।विश्वत सूत्रों की माने तो बीजेपी इस त्रिकोणीय मुकाबले के लिये ऐसा चक्रव्यूह की रचना करना चाह रही है कि प्रदेश में उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी यह सीट जीतने ना पाए।वही बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल एस भी इस चुनाव में उतरने के लिये पूरा मन बना चुकी है।
इसके साथ चल रही खबरों पर गौर करें तो अपना दल एस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल के साथ व्यक्तिगत सम्बन्ध काफी गहरे हैं।ऐसे में 2022 के विधानसभा चुनाव को साधने के लिये अध्यक्ष की सीट यदि बीजेपी अपनी सहयोगी पार्टी अपना दल को दे सकती है।
इसकी सुगबुगाहट होते ही राजनैतिक पंडितो द्वारा सम्बन्धों के चलते इस सीट से श्रीकला सिंह के बीजेपी की सहयोगी पार्टी से उम्मीदवार होने के कयास लगने शुरू हो गए हैं, यदि ऐसा हुआ तो ये त्रिकोणीय मुकाबला सीधे सपा और धनंजय सिंह अर्थात श्रीकला सिंह के बीच हो जाएगा।
ऐसे में परिणाम कुछ भी निकले किन्तु बीजेपी के इस चक्रव्यूह को तोड़ पाना उसकी प्रदेश में चिर प्रतिद्वंद्वी के पार्टी के लिये काफी मुश्किल भरा हो जाएगा।
जिपं अध्यक्ष चुनाव:बीजेपी के चक्रव्यूह को तोड़ पाएगी उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी?












