जौनपुर। विभीन्न क्षेत्रों में जौनपुर के जुड़ने के साथ ही श्रीराम मंदिर के निर्माण के पावन कार्य में जौनपुर से जुड़ाव की खबर लगते ही जनपदवासियों में खुशी की लहर दौड़ गयी। श्रीराम जन्म•ाूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती को ट्रस्टी बनाये जाने का समाचार लगते ही उनके गृह जनपद जौनपुर में लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करने लगे। शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती मूलत: जौनपुर के बदलापुर तहसील के उमरी गांव के निवासी है। पं. तीर्थराज दुबे के पुत्र शंकराचार्य का बचपन का नाम शो•ानाथ दुबे था। किशोरावस्था में ही ज्योतिष पीठाधीश्वर जगतगुरू आदि शंकराचार्य आरमानंद सरस्वती से जुड़कर उनके साथ चले गये, वहीं उनकी शिक्षा दीक्षा पूरी हुयी। प्राथमिक शिक्षा उमरी गांव में हुयी थी। ठाकुरदीन उपाध्याय प्राथमिक शिक्षा के गुरू थे। 1991 में आत्मानंद सरस्वती के देहावसान के बाद वासुदेवानंद शंकराचार्य बने। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिये 1991 से लगातार प्रयासरत रहने वाले वासुदेवानंद ने कई धर्म संसद का आयोजन •ाी किया। उमरी गांव समेत पूरे जनपदवासी इस उपलब्धि से अ•िा•ाूत हैं।