क्या योगी जी को फ्री हैंड कार्य नहीं करने दिया जा रहा ?
संकल्प सवेरा। अगर ऐसा होता तो योगी जी का बुल्डोजर मॉडल कहां चल पाता? MP में शिवराज सीएम थे, लेकिन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा थे। लेकिन, योगी जी को कभी ऐसी स्थिति से भी नहीं गुजरना पड़ा। अन्य CM की तुलना में शुरू से ही मजबूत रहे। गृह विभाग मतलब पुलिस & इंटेलिजेंस की बागडोर हमेशा से उनके पास रही है। यूपी में DM, SP की तैनाती और अधिकारियों के ट्रांसफर केशव मौर्य और बृजेश पाठक या कोई और नहीं करता है। क्लर्क, चपरासी छोड़ दिया जाए, बाकी सभी ट्रांसफर के लिए सीएमओ की मंजूरी लेनी होती है। बीजेपी शासित राज्यों में सबसे पॉवरफुल सीएम योगी जी ही हैं। अगर योगी जी के हाथ पैर बंधे होते तो कभी उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया को मिटाने में न सफल होते।
प्रशासनिक रूप से योगी जी को पूरा फ्री हैंड मिला है। राजनीतिक फ्री हैंड की बात करें तो बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है। यहां राष्ट्रीय और प्रदेश नेतृत्व के बीच चेक्स एंड बैलेंस जरूर रहेगा। बीजेपी क्षेत्रीय पार्टी नहीं है कि टिकट लखनऊ से बटेंगे। कांग्रेस और बीजेपी जैसे राष्ट्रीय दल के हर टिकट अंतिम रूप से दिल्ली से ही तय होते हैं। इसमें भी कुछ विशेष मामलों को छोड़कर, अधिकतर टिकट प्रदेश चुनाव समिति की सिफारिशों के आधार पर ही तय होते हैं।
दूसरा सवाल ?
क्या योगी जी की लोकप्रियता से केंद्रीय नेतृत्व परेशान है ?
योगी जी को CM बनने का मौका किसने दिया ? केंद्रीय नेतृत्व ने। योगी जी ने किसके कहने पर लोकसभा चुनाव में देश भर में 204 रैलियां की ? केंद्रीय नेतृत्व के कहने पर।
अगर लोकप्रियता से परेशानी होती तो केंद्रीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव में योगी जी से देश भर में 204 रैलियां क्यों करवाता? मोदी जी के बाद योगी जी ने ही सर्वाधिक रैलियां की। ऐसा होता तो केंद्रीय नेतृत्व उन्हें यूपी तक ही सीमित रखता। मिसाल के तौर पर राजस्थान लीजिए, वहां तो एक पॉवरफुल नेता को तो अपनी सीट छोड़ कहीं और भेजा नहीं गया।
ट्विटर और यू ट्यूब पर एक धड़ा ऐसा है जो हर महीने दिल्ली में मोदी की सरकार गिरवाता है तो लखनऊ में योगी की। बीच – बीच में दिल्ली और लखनऊ के बीच कथित रूप से झगड़ा भी करवाता है। मैं ये नहीं कहता कि सब कुछ ठीक चल रहा। राजनीति में कुछ मुद्दों पर मतभेद स्वाभाविक है। लेकिन, केंद्रीय नेतृत्व और योगी जी को सारी सच्चाई मालूम है। कुछ लोग कथित “शुभचिंतक” होने की आड़ में ऐसा माहौल बनाते हैं कि अफवाहों को और बल मिल जाता है। यूपी में क्या होगा, मैं दावे नहीं करता। लेकिन, इतना जरूर है कि जो कुछ फिलहाल चल रहा है, चलाया जा रहा है, उससे सरकार और संगठन के बीच तालमेल बनने की जगह आगे और बिगड़ेगा। डैमेज कंट्रोल केंद्रीय नेतृत्व ही कर सकता है।
सोर्स नवनीत मिश्रा
वरिष्ठ पत्रकार