संकल्प सवेरा, नई दिल्ली. दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के दस्तक देने का दावा किया जा रहा है. इस वक्त पूरी दुनिया में कोरोना का डेल्टा वेरिएंट काफी तेज़ी से फैल रहा है. लिहाज़ा कई एक्सपटर्स इन दिनों वैक्सीन की तीसरी डोज़ यानी ‘बूस्टर शॉट’ की बात कर रहे है.
कहा जा रहा है कि वैक्सीन की तीसरी डोज़ से कोरोना के हमले को लंबे समय तक रोका जा सकता है. उधर कुछ एक्सपर्ट्स ये भी कह रहे हैं कि फिलहाल वैक्सीन के बूस्टर की जरूरत नहीं है. उनके मुताबिक इस वक्त सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक खुराक मिल जाए.
इस महीने की शुरुआत में फ़ाइज़र ने कहा था कि वो अमेरिकी और यूरोपीय अधिकारियों से अपने टीके की तीसरी खुराक देने की अनुमति मांगेंगे. इनका कहना था कि इससे लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए ज्यादा इम्यूनिटी बनेगी. कंपनी की तरफ से ये भी कहा गया कि वैक्सीन की दो डोज़ से लोगों को कम से कम 6 महीने तक कोरोना संक्रमण से सुरक्षा मिलेगी.
तीसरी लहर की तैयारी?
कंपनी की दलील है कि कोरोना के नए वेरिएंट आने से वैक्सीन का असर थोड़ा कम होगा. व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार एंथोनी फाउची ने मंगलवार को सीएनबीसी पर कहा कि फाइजर/बायोएनटेक की तीसरी खुराक का आवेदन ‘एक उपयुक्त तैयारी (उस स्थिति के लिए) था जिसे आपको बूस्टर की आवश्यकता हो सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि पहले ये जरूरी है कि हर कोई दो डोज़ लें.
क्या कहना है मेडिकल एजेंसियों का?
इस वक्त ऐसा कोई संकेत नहीं है कि मेडिकल एजेंसियां उन सभी के लिए तीसरी खुराक की सिफारिश करेंगी जिन्हें पहले ही दो खुराक मिल चुकी हैं. यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी और यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल का कहना है कि अभी ये बताना जल्दबाजी होगी कि तीसरी खुराक की जरूरत है या नहीं. उन्होंने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘टीकाकरण अभियानों और चल रहे अध्ययनों से अभी तक ये समझने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि टीकों से सुरक्षा कितने समय तक चलेगी.’