भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली चुनौती और वरदान… डॉ जेपी दुबे

संकल्प सवेरा, जौनपुर। लोकसभा का चुनाव संपन्न हो गया मंत्रिमंडल का गठन होने के बाद सरकार को भारतीय उच्च शिक्षा वर्तमान शिक्षा एवं विकास के नए आयाम आदि पर भी अब सरकार को सुधि लेनी चाहिए lक्योंकि भारतीय उच्च शिक्षा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी प्रणाली है, भारत में युवाओं और कार्यबल की अपार संभावनाएं हैं जिसके 2030 तक दुनिया में सबसे बड़ा बनने की उम्मीद है जो लगभग हर विषय में शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करती है।
2022_23 में उच्च शिक्षा में नामांकित छात्रों की कुल संख्या लगभग 4.85 करोड़ थी। ये 2023_24 में लगभग 5.14 करोड़ हो गई है। 2014-15 से नामांकित छात्रों की संख्या में लगभग 72 लाख (21%) की वृद्धि हुई है वर्तमान शिक्षा की चुनौती एवं विकास के लिए पूर्वांचल विश्वविद्यालय के शिक्षाविद एवं मडियाहू पीजी कॉलेज बीएड विभागप्रभारी डॉ जेपी दुबे ने प्रेस वार्ता के दौरान वर्तमान सरकार से सिर्फ उम्मीद करते हुए अपना विचार व्यक्त किया कि सिर्फ तीन सेवाएं ही निःशुल्क होनी चाहिएं
शिक्षा, चिकित्सा और न्याय,
इसके अलावा बाकी मुफ्त चीजें, व्यक्ति समाज और राष्ट्र को अपाहिज बनाती हैंआधुनिक शिक्षा का संबंध केवल औपचारिक ज्ञान देने से नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य व्यक्ति के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास करना है। यह उसे सर्वांगीण विकास प्रदान करता है ताकि वह जीवन में किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हो सके और सामाजिक सुधार के लिए आंतरिक क्षमता का भी उपयोग कर सके। और उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार को शिक्षा के विकास के लिए बहुआयामी परिवर्तन करना जरूरी है क्योंकि शिक्षा व्यक्तिगत विकास को सक्षम बनाती है और आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देती है। यह ज्ञान, अनुसंधान और नवाचार के आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है अतः वर्तमान सरकार चाहे केंद्र में हो चाहे राज्य में हो भारत को उच्चतम शिखर तक पहुंचाने के लिए वर्तमान शिक्षा चुनौती है इसलिए परिवर्तन जरूरी है












