जौनपुर।लगभग 40 दिन बाद लॉक डाउन के बावजूद मधुशाला प्रेमियों के लिये दुकान के शटर उठते ही लोग अपनी प्यास बुझाने को टूट पड़े।शायद ऐसी भीड़ खाना पाने के लिये अभी तक नही देखने को मिली जितनी शराब पाने को लेकर आतुर भीड़ थी। लेकिन इस बीच देश के भविष्य नौनिहालो के स्कूल बंद होने के साथ ही स्टेशनरी व बुक स्टालों के ना खुलने से लोगो में पाठशाला बनाम मधुशाला को लेकर जरूरत की बहस शुरू हो गयी।
जहा एक तरफ सरकार ने लॉक डाउन 3 में जरूरी वस्तुओं के साथ साथ अन्य उपयोगी वस्तुओं के भी दुकानों को नियमानुसार खोलने की छूट दे दी है ,लेकिन जनपद में किताब कापी की दुकानों को जरूरी नही समझा जा रहा है ,एक तरफ शराब की दुकानों को खोल दिया गया वही दूसरी तरफ किताबो की दुकान खोलने की कोई छूट नही ,इससे तो यही लगता है कि जिले में छात्र छात्राओं के किताबो से महत्वपूर्ण शराब है।एक तरफ जहा प्रदेश के शिक्षा मंत्री ऑनलाइन क्लास चलवाने पर जोर दे रहे है ,लेकिन ऑनलाइन क्लास के बाद छात्र छात्राओं को रिविजन के लिए किताब और कापी की आवश्यकता है ,जिसके लिए छात्र और अभिवाहक दर दर भटक रहे है ।बात यदि सामाजिक दूरी की करें तो निश्चित रूप से पढ़ाई से सम्बंधित हर व्यक्ति इसका कड़ाई से पालन करेगा जबकि शराब की दुकानों पर उमड़ने वाली भीड़ को सभी देख चुके हैं।ऐसे में
शासन सत्ता को छात्रों के भविष्य को देखते हुए विशेष नियम बनाकर पुस्तकालयों को खोलने की व्यवस्था करनी चाहिए।