‘सच्चे हो तो राजा जी सौगंध राम की खा जाओ’
आदर्श रामलीला समिति द्वारा कैकेयी कोप भवन का सजीवमंचन
जौनपुर,संकल्प सवेरा। आदर्श रामलीला समिति जमालपुर मदारपुर के तत्वावधान में कैकेयी कोप भवन प्रसंग का भावपूर्ण मंचन किया गया । अयोध्यापति महाराज दशरथ ने अपनी वृद्धावस्था को देखते हुए एक सभा आहूत की । सबकी सहमत से राम के राजतिलक का निर्णय लिया। राम के राजतिलक की घोषणा होते ही समूची अयोध्या में हर्षोल्लास व्याप्त हो गया। नगर में इस प्रकार की चहल-पहल से दासी मंथरा के मन में ईर्ष्या जागी। वह सीधे महारानी कैकेयी के पास पहुंच गयी।
उसने कहा कि यदि राम को अयोध्या का राजा बनाया गया तो तुम्हें कौशल्या की दासी बनकर जीवन यापन करना होगा और तुम्हारे पुत्र भरत को राम का नौकर – चाकर बनकर जीना पड़ेगा । पहले तो कैकेयी ने कहा कि यदि राम का राज्याभिषेक हुआ तो मैं तुम्हें मुंह मांगा पुरस्कार दूंगी परंतु बाद में वह मंथरा के झांसे में आ ही गई । मंथरा ने कैकेयी से कहा कि महाराज दशरथ ने आपको दो वरदान देने की बात कही है। अब उसे मांगने का इससे अच्छा अवसर नहीं मिलेगा।
मंथरा की सलाह मान करके कैकेयी कोपभवन में चली गई। वह अपने आभूषणों और राजश्री वस्त्रों को त्याग फटे पुराने वस्त्र को पहने और विकराल रूप धारण की हुई थी। महाराज दशरथ वहां पहुंचे तो उसे देखकर भयभीत हो गए और उसे मनाने का प्रयास करने लगे। कैकेयी ने उन्हें दो वरदान देने का स्मरण कराया तो राजा ने उसे दो के बदले चार वर मांगने की बात कही। इस पर कैकई ने कहा ” इन मीठी-मीठी बातों से महाराज न मुझको बहकाओ।
सच्चे हो तो राजा जी! सौगंध राम की खा जाओ। ” राम का सौगंध खाने के बाद कैकेई ने जब राजा से भरत की राजतिलक और राम की वनवास का वरदान मांगा तो राजा बेसुध हो धरती पर गिर पड़े। यह दृश्य देख दर्शकों के नेत्र सजल हो गए। दशरथ बने सत्य प्रकाश यादव; कैकेयी बने चंदू सरोज और मंथरा की भूमिका में सूबेदार यादव ने अपने अभिनय की छाप छोड़ी। आगंतुकों के प्रति आभार ज्ञापन डॉक्टर रामकृष्ण यादव ने किया।