जौनपुर,संकल्प सवेरा ।साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश की कवि-गोष्ठी रामेश्वर शिशु विहार जौनपुर में ख्यातिप्राप्त रचनाकार प्रो. पी.सी विश्वकर्मा की अध्यक्षता में आयोजित की गई। गोष्ठी की प्रेरक शुरुआत श्रीमती सुमति श्रीवास्तव की वाणी वंदना से हुई। रामजीत मिश्र की रचना.. छोटा सा दिल आबाद है दुनिया के सारे ऐब, रहना था सिर्फ प्यार जो पाला न जा सका.. कम होती मानवीय संवेदना को रेखांकित कर गई। पारुल सिंह की कविता.. वो मौसम ना बनो जो बदल जाते हैं, मुझे सदाबहार पसंद है, सदाबहार बन आना.. बदलते रिश्तों की कहानी कह गई। गिरीश कुमार गिरीश का शेर.. मैं उम्र भर शिकार रहा तंग नजर का, हालांकि आफताब बताया गया मुझे, खूब तालियां बटोर गया। अशोक मिश्र का दोहा.. गौरैया जब से गई, अपना छोड़ मुंडेर, मन में मेरे रह गया बस विषाद का ढेर।। समाज और प्रकृति के संबंधों की गहरी पड़ताल कर गया। जनार्दन अस्थाना का फागुन को समर्पित गीत….मस्ताना फगुनवा आयल सखी सरसों के मन पियरायल सखी, गोष्ठी को मस्ती में सराबोर कर गया। अतिथि अनवार जौनपुरी का शेर… उसने तो मुझको एक नजर देखा, मैंने तो उसको उम्र भर देखा….माहौल को खुशनुमा बना दिया। प्रेम जौनपुरी का शेर…मुझे तो अपना मुकद्दर फरेब देता है….नियति का विडंबना को बता गया। गोष्ठी में अंसार जौनपुरी, समीर, सुशील दुबे, फूलचंद भारती, राकेश पांडे, आशिक जौनपुरी, शशांक मिश्र, बजरंग प्रसाद, डॉ विमला सिंह आशुतोष पाल, रूपेश साथी, आर.के. अस्थाना ने भी प्रभावपूर्ण प्रस्तुति दी। प्रोफेसर आर.एन. सिंह ने सभी उपस्थित कवियों का स्वागत और आभार प्रकट किया। संचालन गीतकार जनार्दन अस्थाना जी ने किया।