हरियाली तीज (Hariyali Teej) हिंदू धर्म का सबसे बड़ा व्रत (Vrat) माना जाता है. हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से महादेव (Lord Shiva) और मां पार्वती को समर्पित होता है.
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माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) पृथ्वी पर अपनी ससुराल आते है, जहां उनका और मां पार्वती का सुंदर मिलन होता है. इसलिए इस तीज के दिन महिलाएं सच्चे मन से मां पार्वती की पूजा-आराधना करते हुए उनसे आशीर्वाद के रूप में अपने खुशहाल और समृद्ध दांपत्य जीवन की कामना करती हैं
इसमें महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रखती हैं. वहीं कुवांरी लड़कियों के लिए भी यह व्रत बहुत खास है. ऐसा कहा जाता है कि कुवांरी लड़कियां अगर इस व्रत को करें तो उन्हें भगवान शिव (Lord Shiva) जैसा पति मिलता है. इसकी तैयारी के लिए महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं, मेहंदी लगाती हैं, हरी चूडि़यां पहनती हैं और पूजा करती हैं. पूरा दिन भूखे प्यासे रहकर महिलाएं रतजगा भी करती हैं. इस दौरान तरह-तरह के लोकगीत गाए जाते हैं.
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इस अवसर पर महिलाएं, लड़कियां झूला झूलती हैं और हरियाली गीत गाती हैं. अम्मा मेरी रंग भरा जी, ए जी कोई आई हैं हरियाली तीज. घर-घर झूला झूलें कामिनी जी, बन बन मोर पपीहा बोलता जी. एजी कोई गावत गीत मल्हार,सावन आया…कोयल कूकत अम्बुआ की डार पें जी, बादल गरजे, चमके बिजली जी. एजी कोई उठी है घटा घनघोर, थर-थर हिवड़ा अम्मा मेरी कांपता जी. सावन आया…
इस दिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं और हाथों में मेहंदी लगाती हैं. मेहंदी को काफी शुभ माना जाता है और यह हाथों की खूबसूरती भी बढ़ाती है.
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महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और सोलह शृंगार करके झूला झूलती हैं, हरियाली के गीत गाती हैं, अरी बहना! छाई घटा घनघोर, सावन दिन आ गए. उमड़-घुमड़ घन गरजते, अरी बहना! ठण्डी-ठण्डी पड़त फुहार. सावन दिन…बादल गरजे बिजली चमकती, अरी बहना! बरसत मूसलधार. सावन दिन…कोयल तो बोले हरियल डार पे, अरी बहना! हंसा तो करत किलोल. सावन दिन..