भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे हैं महागठबंधन के नेता: शशिमोहन सिंह क्षेम
निर्दोष होने का सबूत न्यायालय में न देकर सड़कों पर प्रदर्शन, सच्चाई से वाकिफ है जनता
संकल्प सवेरा, जौनपुर। लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल करने के लिये विपक्षी दलों में बेचैनी है। विपक्षी नेतागण मुस्लिम मतों को पाने के लिये उन्हे नरेन्द्र मोदी का भय दिखा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तो यहां तक कह रहे हैं कि इस बार भाजपा सत्ता में आयी तो लोगों से मतदान का अधिकार छीन लेगी। विपक्षी नेतागण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बराबर आरोप लगाते हैं कि वे विरोधी दलों को समाप्त करने के लिये आमादा है।
ये लोग केन्द्री जांच एजेंसियों के दुरूपयोग का आरोप भी प्रधानमंत्री पर लगाते हैं। विपक्षी इस मुद्दे को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की परंतु शीर्ष न्यायालय ने उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया। अब ये सड़कों पर धरना प्रदर्शन करके इन जांच एजेंसियों को बदानमा करके जनता की सहानुभूति बटोरने का प्रयास कर रहे है। देश की जनता भी इन भ्रष्ट नेताओं की असलियत जान चुकी है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा था उन दिनों केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई जांच में लालू प्रसाद दोषी पाये गये।
उन्हे जेल जाना पड़ा। बाद में न्यायालय ने उन्हे सजा भी सुनायी। कांग्रेस की सरकार रहते नेशनल हेरल्ड प्रकरण में भी घोटाला मिला। आज भी जमीन के बदले नौकरी के मामले में पूरे परिवार सहित ईडी की रडार पर है। उसमें गांधी परिवार के लोग दोषी पाये गये। पूरे भारत में न्याय यात्रा निकाल रहे राहुल गांधी जमानत पर छूटे हुए है। झारखंड राज्य प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है। यहां सबसे अधिक खनिज का उत्पादन होता है परंतु दुर्भाग्य है कि यहां जो सरकार बनती है लूटपाट में लग जाती है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख शिबू सोरेन हुए तो उन्हे भी भ्रष्टाचार के आरोप मे जेल जाना पड़ा। उनके पुत्र हेमंत सोने जो भ्रष्टाचार के मामले में जेल गये उन्हे मुख्यमंत्री की गद्दी से हाथ धोना पड़ा। बताया जाता है कि हेमंत सोने का दिल्ली जो आलीशान महल बना है जिसकी कीमत 250 करोड़ आंकी गयी है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ही देखें जो अपने को सादगी का प्रतीक तथा अन्ना हजारे का अनुयायी बताते हैं उनके आवास के सुंदरी कार्य में 100 करोड़ से भी अधिक रूपये खर्च हुए। शराब घोटाले में इनके मंत्री और सांसद कारागार में बंद हैं। इनके निर्दोष होने का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण माननीय न्यायालय से भी इन्हे जमानत नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की इसी मामले में जांच एजेंसी के सवालों का जवाब देने के लिये केजरीवाल साहस नहीं जुटा पा रहे हैं उल्टे जांच एजेंसी के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीबी लोग जांच एजेंसियों का सामना कर रहे हैं। उनके यहां भारी मात्रा में अवैध रूपये बराबद हुए जिनका कोई हिसाब देने वाला नहीं है।
महाराष्ट्र की बात करें तो यहंा भी कद्दावर नेता शरद पवार के पोते रोहित पवार भी जमीन से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जांच एजेंसी के निशाने पर है। कुल मिलाकर देखा जाये तो महागठबंधन के नाम पर मोदी को हटाने के लिए जो लोग अभियान चला रहे हैं सभी प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से भ्रष्टाचार के मामले में संलिप्त हैं और जांच एजेंसियों को राहत पाने के लिये वे केन्द्र की सत्ता हथियाना चाहते हैं। देश की जनता यह भली भांति समझ चुकी है। जाति-पाति की फिजूल बातों से वह गुमराह होने वाली नहीं है।