संकल्प सवेरा, इंदौर। एक जून से देश में लागू हो रहे अनिवार्य हालमार्क कानून के साथ ही उपभोक्ता की पसंद पर भी बंधन लागू हो रहा है। 31 मई के बाद ग्राहक चाहकर भी न तो 22 कैरेट से ज्यादा शुद्धता वाले गहने खरीद सकेंगे और न ही 20 या 21 कैरेट के गहने बनवा सकेंगे। हालमार्क कानून की ऐसी विसंगतियों के खिलाफ मप्र के ज्वेलर्स ने कानूनी लड़ाई छेड़ दी है। मप्र ज्वेलर्स डेवलपमेंट एसोसिएशन की ओर से हालमार्किंग के खिलाफ हाई कोर्ट की मुख्य पीठ में याचिका भी दायर कर दी गई है।
एक जून से बिकेंगे सिर्फ हालमार्क वाले गहने, मार्किंग के लिए मध्य प्रदेश में सिर्फ 18 केंद्र
ज्वेलर्स आरोप लगा रहे हैं कि ताजा स्थिति में कानून लागू कर दिया गया तो परंपरागत ज्वेलर्स और गहना कारीगरों का व्यवसाय चौपट हो जाएगा। शुद्धता और पारदर्शिता की उम्मीद कर रहे उपभोक्ता भी ठगे जाएंगे। मप्र सराफा व्यापारी एसोसिएशन के अनुसार मप्र में करीब 35 हजार ज्वेलर्स हैं। हालमार्किंग कानून लागू होने में करीब ढाई महीने शेष हैं लेकिन अभी तक प्रदेश में सिर्फ 18 हालमार्किंग सेंटर खोले गए हैं। तमाम ज्वेलर्स को एक-एक गहने पर मार्किंग करवाने के लिए इन सेंटरों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा। एक गहने पर मार्किंग में यदि 15 से 20 मिनट भी लगते हैं तो भी संभव नहीं है कि प्रदेश में बनने और बिकने वाले हर एक गहने पर इन 18 सेंटरों के भरोसे मार्किंग हो जाए।












