संकल्प सवेरा जौनपुर पूर्वांचल विश्वविद्यालय में अब बीएड महाविद्यालय को संबद्धता देने के नाम पर खेल शुरू हो गया है। (एनसीटीई) नेशनल काउंसिल फार टीचर एजूकेशन यानि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से अनुमति लिए बिना ही फर्जी तरीके से संबद्धता करा लिया है।
इतना ही नहीं, इन कालेजों ने बीएड की काउंसलिंग में शामिल हुए और दाखिला लेने के बाद परीक्षा भी करा लिया है। जिन महाविद्यालयों की संबद्धता पर विश्वविद्यालय प्रशासन सवाल खड़ा कर रहा है। वह छात्रों की परीक्षा भी करा चुके हैं। इसके पहले विवि प्रशासन को इसकी याद नहीं आई। पत्रों की जांच किए बिना ही महाविद्यालयों को आनन-फानन में संबद्धता दे दी गई। मामला उजागर होने के डर से विवि प्रशासन ने आनन-फानन में जांच समिति गठित कर मामले के जांच का आदेश दे दिया है।
हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन की सूची में केवल 20 ऐसे महाविद्यालय हैं जिनकी संबद्धता में विसंगतियां मिली हैं। यह महाविद्यालय ऐसे हैं जो एनसीटीई और विवि को गुमराह करके संबद्धता हासिल कर लिया है। विवि से जुड़े लोगों की माने तो महाविद्यालयों से संबद्धता के नाम पर खेल किया गया है। कुछ महाविद्यालयों की संबद्धता नहीं हो पाने के कारण महाविद्यालय संचालक अब चक्कर लगा रहे हैं। जिसे लेकर विवाद चल रहा है।
पूविवि के बंटवारे के पहले करीब 326 महाविद्यालय संबद्ध थे। संबद्धता विभाग की मानें तो अब गाजीपुर और जौनपुर जिले के करीब 182 बीएड कालेज शेष हैं। संबद्धता में हुई लीपापोती के मामले को कुलपति प्रो. निर्मला एस मौर्य ने गंभीरता से लिया है। सेवानिवृत्त एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति की रिपोर्ट को कार्य परिषद से पास कराकर जो भी निर्णय होगा लिया जाएगा।
कुलसचिव महेंद्र कुमार ने जारी आदेश में कहा कि 26 नए बीएड महाविद्यालयों ने अस्थाई संबद्धता के लिए शपथ पत्र के साथ प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। महाविद्यालय के प्रबंधकों द्वारा यह भी शपथ पत्र दिया गया था कि एनसीटीई के सत्यापन में अगर उन्हें गलत पाया गया तो उनका प्रस्ताव निरस्त किया जा सकता है। परीक्षण के बाद 20 महाविद्यालयों में विसंगतियां और संदिग्धता पाई गई है, जो संदेह के घेरे में हैं। इस कारण ऐसे महाविद्यालयों को संबद्धता देने के मामलों में विश्वविद्यालय का निर्णय लेना संभव नहीं है। इस कारण कुलपति के निर्देश पर तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है। इस तरह की विसंगतियां अन्य बीएड महाविद्यालय में भी हो सकती है। उनके खिलाफ भी प्रस्ताव निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगी