प्रयागराज,संकल्प सवेरा मनीष मिश्रा की रिपोर्ट । कोरोना महामारी काल में खुद तकलीफें सहते हुए दूसरों की जिंदगी के लिए अपनी सुख सुविधा भूलने वाले ढेरों चेहरे हैैं। फ्रंट लाइन वर्कर यानी चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ की अनगिन कहानियां हैैं। अपने जज्बे की दम पर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वाकई में धरती के भगवान वही हैं। ऐसा ही एक नाम है संगमनगरी में डा. मोनिका का। कोरोना काल में उनके लगभग छह महीने मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब में ही गुजर गए। फर्ज की वेदी पर वह सबको भूल गईं। पति डॉ. अमोद नालंदा मेडिकल कॉलेज के लैब में यही लड़ाई लड़ी। दोनों बच्चे उद्भव (10 साल) और प्रभाव (02 साल) कभी दाई के भरोसे रहते तो कभी नाना नानी के पास।
छह माह तक नहीं ली छुट्टी, नालंदा में थे डाक्टर पति
जब कोरोना संक्रमण खौफ का सबब था तब डॉ. मोनिका मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलाजी लैब में पीपीई किट से लैस होकर डटी रहीं। डिपार्टमेंट की अध्यक्ष व लैब की इंचार्ज थीं इसलिए सैंपलों के जांच की जिम्मेदारी थी। बताती हैैं कि 21 मार्च 2020 से सितंबर तक लगातार दिन रात लैब ही एक तरह से घर बना रहा।
सास का अंतिम दर्शन नहीं कर पाईं
डा. मोनिका की सास पटना में बेटे के साथ थीं। उनका स्वास्थ्य खराब चल रहा था। कोरोना काल के दौरान ही अक्टूबर में उन्होंने अंतिम सांस ली पर कर्तव्य की वेदी पर डटी डा. मोनिका सास के अंतिम दर्शन करने तक नहीं जा सकीं।
हमने तो सिर्फ अपना फर्ज निभाया
बातचीत में डॉ. मोनिका कहती हैैं कि मैंने तो सिर्फ अपना फर्ज निभाया है, यह मेरा काम था और मैंने नि:स्वार्थ भाव से उसे किया। पिछले साल मार्च में पति प्रयागराज आए थे, उसके बाद हम दोनों लोग अपनी-अपनी ड्यूटी पर चले गए। इसी बीच महामारी आ गई। दोनों बच्चों को कुछ दिन तक घर पर दाई के साथ रखा फिर लखनऊ अपने मम्मी पापा के पास भेज दिया। उच्चाधिकारियों से अनुमति लेकर बच्चों से मिलने के लिए एक दिन जरूर लखनऊ गई। फिर अक्टूबर में ही बच्चों से मिल सकी।
पांच लाख से ज्यादा सैंपलों की जांच
डॉ. मोनिका की निगरानी में कोरोना काल के शुरूआती दिनों से लेकर अब तक पांच लाख से ज्यादा सैंपलों की जांच इस लैब में की गई। यह रिकार्ड ही है। सबसे पहले इसी लैब में सैंपलों की जांच शुरू हुई थी।
महिला दिवस पर यह हैै संदेश
महिलाएं बेटियों को कमतर न समझें, उन्हें खूब पढ़ाएं। संस्कार दें। कभी यह महसूस नहीं होने दें कि वह कमजोर हैैं। उनका जितना उत्साहवर्धन होगा, वह उतना ही आगे बढ़ेंगी और परिवार का नाम रोशन करेंगी।
 
	    	 
                                












