रामलीला देख श्रद्धालु हुए मुग्ध, देर रात बैठे रहे श्रोता
जौनपुर,संकल्प सवेरा | आदर्श रामलीला समिति जमालपुर-मदारपुर द्वारा सूपनखा की नाँक काटे जाने के प्रसंग का मंचन किया गया। पंचवटी में भगवान राम अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ रह रहे थे। सूपनखा जो लंकापति रावण की बहन थी, घूमते हुए वहाँ पहुँच गयी। वह राम के सुन्दरता पर मोहित हो गयी। वह राम के पास जाकर बोली- तुम्हारे समान सुन्दर पुरुष और मेरे समान सुन्दरी धरती पर नहीं है।
अच्छा होगा कि तुम मेरे साथ विवाह कर लो।” मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने कहा कि वे विवाहित हैं। इसलिए तुमसे विवाह नहीं कर सकते। इसके पश्चात् सूपनखा लक्ष्मण के पास गयी और उन्हें रिझाने के प्रयास करने लगी परन्तु लक्ष्मण ने भी उसके विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। अन्ततः उसने सीता को मारकर रास्ते का काँटा हटाने का निश्चय कर लिया।
जैसे ही वह सीता पर झपटी लक्ष्मण ने उसकी नाँक काट दी। सूपनखा बिलखती हुई खर-दूषण के पास गयी। खर-दूषण अपनी सेना के साथ राम के पास आये और उनसे अपनी पत्नी को देकर उन्हें सौंप कर वापस चले जाने की बात कही। राम ने उनकी बात नहीं मानी। खर-दूषण राम के साथ युद्ध करते सेना सहित मारे गये। इसके बाद सूपनखा रावण के पास रोते हुए पहुंची और उससे सारा वृतान्त कह दिया।
रावण क्रोधित हो गया और राम की पत्नी सीता का हरण करने का निश्चय किया। वह अपने मामा मारीच के पास गया और उससे माया-मृग बन कर राम और लक्ष्मण को बहकाने के लिए कहा ताकि वह अकेले में सीता का हरण कर सके। मारीच ने उसे समझाते हुए कहा-अच्छे कर्मों को करने से घर में प्रकाश हो जाता है। परनारी घर में लाने से घर का विनाश हो जाता है।
परन्तु जब रावण मारीच को जान से मारने की धमकी दी तो उसने भगवान राम के हाथों मरना ही उचित समझा। दर्शक, देर रात तक सीता हरण, जटायु-रावण युद्ध का दृश्य देख रोमांचित हुए। रावण बने लालजी यादव, मारीच बने रामू सरोज तथा सूपनखा की भूमिका निभा रहे चंदू का अभिनय सराहनीय रहा।