डेढ़ साल में नहीं मिल सका लाइसेंस, बंद पड़ी है ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर
जौनपुर,संकल्प सवेरा। जिला अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए लगाई गई ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन स्टोर में धूल फांक रही है। डेढ़ साल पहले इस मशीन का लगवाया गया है। मशीन चालू न हो पाने का का कारण लाइसेंस न मिलना है। स्वास्थ्य विभाग ने लाइसेंस के लिए सभी प्रक्रिया पूरी कर ली है। लाइसेंस मिलते ही मशीन चालू होने की उम्मीद है
अस्पताल के ब्लड बैंक नवीनीकरण व ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट लगाने के लिए लाइसेंस लेने के लिए जरूरी सुविधाएं जुटा ली गई हैं। कुछ दिन पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के डीआई सुधीर सिंह ने जिले के औषधि निरीक्षक चंद्रेश द्विवेदी की टीम ने ब्लड बैंक प्रभारी डाॅ. शायन दास के साथ ब्लड बैंक का निरीक्षण किया था। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक तो पूर्व से संचालित है, लेकिन ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट नहीं होने से प्लाज्मा व रक्त संबंधी अन्य जरूरतों के मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। ब्लड सेपरेशन मशीन करीब डेढ़ साल से आकर जिला अस्पताल में रखी हुई है। उसे इंस्टाल भी कर दिया है। मशीन का कुछ हिस्सा आना शेष था वह भी आ चुका है। सेंट्रल फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग की टीम ने भी अस्पताल स्थित ब्लड बैंक का निरीक्षण भी कर लिया है। सीएमएस डाॅ. केके राय का कहना है कि डाक्टर व अन्य स्टाफ को प्रशिक्षण भी करा दिया गया है। केवल लाइसेंस का इंतजार है
जौनपुर। जिला अस्पताल में ब्लड बैंक का संचालन पहले से हो रहा है। ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर यूनिट शुरू हो जाने के बाद मरीजों की सुविधाएं बढ़ जाएंगी। डीआई चंद्रेश द्विवेदी ने बताया कि एक यूनिट ब्लड से श्वेत रक्त कणिकाएं, (डब्ल्यूबीसी), लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी), प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, प्रोटीन सहित अन्य तत्वों को अलग किया जाता है। इससे ब्लड डोनर के एक यूनिट ब्लड को कंपोनेंट के रूप में छह अलग-अलग मरीजों का इलाज किया जा सकता है।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से लाइसेंस मिलने के बाद ही ब्लड कंपोनेंट सेपरेटर मशीन का संचालन किया जा सकता है। सभी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं। जल्द ही लाइसेंस मिलने की उम्मीद है। – चंद्रेश द्विवेदी, जिला औषधि निरीक्षक जौनपुर