कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की पहचान सार्वजनिक करने पर आयोग सख्त
किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 74 के तहत कार्यवाही करने का निर्देश
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को भेजा पत्र
संकल्प सवेरा,जौनपुर। कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों की पहचान सार्वजनिक करने पर राज्य बाल संरक्षण आयोग सख्त हुआ है। हाल ही में आयोग के अध्यक्ष डॉ विशेष गुप्ता ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर इस बारे में सूचित किया है।
पत्र के माध्यम से उन्होंने कोविड-19 आपदा में अनाथ हुए या प्रभावित हुए बच्चों की पहचान से जुड़े चित्र या विवरण सार्वजनिक करने वालों पर किशोर न्याय अधिनियम-2015 की धारा 74 के अंतर्गत कार्यवाही करते हुए सात दिनों में कार्रवाई से अवगत कराने का निर्देश दिया है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी संतोष कुमार सोनी ने बताया – पत्र में उन्होंने बाल आयोग की तरफ से पूर्व में भेजे गए पत्र का संज्ञान भी लेने को कहा है जिसमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से आच्छादित तथा ऐसे अनाथ बच्चे जो निराश्रित हो गए हैं। उनके फोटोग्राफ तथा उनके परिवारों से जुड़ी सूचना प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक/सोशल मीडिया पर प्रदर्शित नहीं किए जाने चाहिए।
सोशल मीडिया पर प्रदर्शित होने से ऐसे बच्चों का दुरुपयोग असामाजिक तत्व कर सकते हैं और बाल तस्करी करने वाले समूह, भिक्षावृत्ति से जुड़े लोग और अपराधी प्रवृत्ति के लोग कभी भी ऐसे बच्चों का गलत तरीके से उपयोग कर सकते हैं।
हालांकि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने ऐसे प्रकरणों आदि में फोटो आदि प्रकाशित/प्रदर्शित करना बंद कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 74 ऐसे मामलों में बालक की पहचान प्रकटन का प्रतिषेध करती है। इसके तहत किसी जांच, अन्वेषण या न्यायिक प्रक्रिया के बारे में किसी समाचार पत्र, पत्रिका, समाचार पृष्ठ, दृश्य-श्रव्य माध्यम, संचार के किसी अन्य रूप में बच्चों के नाम, पता, विद्यालय या किसी अन्य विशिष्टता को प्रकट करने पर रोक लगाई गई है
जिससे विधि का उल्लंघन करने वाले बालक, देखरेख और संरक्षण के जरूरतमंद बालक, किसी बाल पीड़ित अपराध के साक्षी की न तो पहचान और न ही ऐसे बालक का चित्र प्रकाशित किया जा सकता है।
बाल आयोग के इस निर्देश के बाद भी कुछ कुछ लोग सोशल मीडिया पर ऐसे निराश्रित बच्चों, परिवारों के पहचान से जुड़े चित्र या विवरण सार्वजनिक कर रहे हैं।
जिला प्रोबेशन अधिकारी ने ऐसे मामलों को जस्टिस जुवेलाइन (जेजे) एक्ट 2015 की धारा 74 का संज्ञान लेते हुए धारा की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराना सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।
साथ ही कहा गया है कि विभिन्न प्रिंट मीडिया/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की ओर से अनाथ बच्चों के विवरण एकत्रित किए जा रहे हैं। इस विवरण को भी जिला टास्क फोर्स के मध्य प्रस्तुत कराते हुए उनकी भी स्क्रूटनी कराएं ताकि शासन को स्थानीय प्रशासन के माध्यम से प्रेषित प्रकरणों में पुनरावृति रोकी जा सके।