रंग बिरंगी होली खुशियां सावधानी एवं सतर्कता आशुतोष त्रिपाठी
संकल्प सवेरा जौनपुर रंग बिरंगी खुशियां होली की उपयोगिता एवं रंगों का रासायनिक दुष्प्रभाव पर पत्रकार संगोष्ठी के माध्यम से भौतिकी प्रवक्ता आशुतोष त्रिपाठी ने शुभकामनाओं के साथ कहा कि हम किसी भी रंगों का चुनाव करें होली खेलते समय लेकिन प्राकृतिक रंगों का चुनाव सबसे पहले करना चाहिए इस संदर्भ में सबसे पहले बात करते हैं रंगों की। पहले केवल गुलाल और लाल रंग से ही खेलने की परंपरा थी। होली का मुख्य रंग गुलाल माना जाता हैं किंतु आजकल काले, पीले, हरे, नीले, चमकीले इत्यादि कई भांति के रंग आ गए हैं। इन रंगों में खतरनाक रसायन इत्यादि मिले होते हैं जो आपके शरीर को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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इनसे बचाव के लिए बाज़ार में प्राकृतिक रंगों की भी बाढ़ सी आ गयी हैं किंतु ये रंग कितने प्राकृतिक हैं यह भी पता नही चल सकता। फिर भी ये प्राकृतिक रंग बाकि रंगों से बेहतर हैं। इसलिये आप जितना हो सके इन प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करे। सबसे बेहतर तो यह होगा कि आप अपने घर पर ही रंग बनाए जो नुकसानदायक तो बिल्कुल नही होंगे बल्कि आपकी त्वचा को लाभ भी पहुंचाएंगे।
दूसरी महत्वपुर्ण बात यह हैं कि गहरे रंगों को खरीदने से बचे और दूसरों को भी ऐसा ही करने को कहे। जैसे कि गहरा हरा, काला, नीला रंग इत्यादि। दरअसल इन रंगों को गहरा करने के लिए इनमें रसायन की मात्रा ज्यादा मिलायी जाती हैं जो यदि आपकी आँखों इत्यादि में चली जाए तो गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
दो रंगों का इस्तेमाल मुख्य रूप से ना करे, एक तो सिल्वर चमकीला रंग और दूसरा गहरा हरा रंग। सिल्वर चमकीले रंग में एल्युमीनियम ब्रोमाइड पाया जाता हैं जो त्वचा संबंधी कैंसर के लिए उत्तरदायी होता हैं जबकि गहरे हरे रंग में कॉपर सल्फेट पाया जाता हैं जो आँखों में अंधापन पैदा कर सकता हैं।