प्रसूता व गर्भवती की मौत के कारणों की होगी समीक्षा
मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में इससे मिलेगी मदद
सीएमओ बोले-मातृ मृत्यु को छिपाना है अपराध
ऐसे होगी निगरानी :
– चिकित्सकों की टीम घर जाकर जुटाएगी मौत के कारणों की जानकारी
– एमसीडीएसआर पोर्टल पर दर्ज होंगी सारी सूचनाएं
– सर्विलांस के जरिए होगी मानीटरिंग
जौनपुर, 06 फरवरी 2021।
मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए अब प्रसूता या गर्भवती की मृत्यु के कारणों की समीक्षा होगी । समीक्षा में निकले निष्कर्षों के आधार पर ठोस कार्य योजना बनाई जाएगी। इन सारी बातों को मैटर्नल एंड चाइल्ड डेथ सर्विलांस एंड रेस्पॉन्स (एमसीडीएसआर) पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है । पोर्टल पर अप्रैल 2020 से दिसम्बर तक जिले में 42 मृत्यु दर्ज की जा चुकी है ।
इनमें से 36 की जांच करने टीम उनके घर पर जा चुकी है । जांच के दौरान ज्यादातर की मौत पोस्ट पार्टम हैमरेज (पीपीएच) प्रसव पश्चात अधिक रक्तस्राव होने) से पता चली है । जांच रिपोर्टों में 15 पीपीएच से, 11 अति गंभीर खून की कमी, छह संक्रमण से, एक लीवर सिरोसिस से, एक हाईपरटेंशन से, एक एक्लेमसिया से तथा एक अज्ञात कारणों से मृत्यु होने का पता चला है।
मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) को सूचीबद्ध कर आशा और एएनएम के माध्यम से उन पर निगाह रखी जा रही है, ताकि उच्च जोखिम वाली गर्भवती की पहचान कर जच्चा-बच्चा दोनों को बचाया जा सके ।
इसके साथ ही मातृ मृत्यु की सर्विलांस के माध्यम से भी निगरानी होने लगी है । अब कोई भी चाहे तो इस पोर्टल के माध्यम से मालूम कर सकता है कि जनपद में किस महीने कितनी महिलाओं की मृत्यु हुई, इसमें से कितने की बच्चे के जन्म के बाद मृत्यु हुई या अन्य कारणों से हुई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राकेश कुमार ने इस संबंध में पत्र जारी कर विभागीय जांच में लोगों से किसी भी तरह की मातृ मृत्यु को न छिपाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि ऐसी रिपोर्ट को छिपाना अपराध है। उन्होंने कहा है कि ऐसी रिपोर्टों से मातृ मृत्यु के कारणों का पता लगाया जा सकेगा और उस पर योजना बनाकर कार्य करने में भी मदद मिलेगी।
पोर्टल पर डालने से पहले मृत्यु के कारणों को भी दर्शाना होगा जिससे मृत्यु के कारणों का पता चलना आसान हो सकेगा। पोर्टल पर पड़ी सूचनाओं से यह जानना आसान हो सकेगा कि सामुदायिक और फैसिलिटी स्तर पर कहां कमी है । उस कमी की पहचान कर उस पर कार्य योजना बनाई जा सकेगी। वर्ष 2019-20 में सभी प्रभारी चिकित्साधिकारियों (एमओआईसी) को इस संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है।
मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए एमडीएसआर को प्रभावी ढंग से लागू करने की कोशिश हो रही है। ब्लाक, जिला, राज्य स्तर पर मातृ मृत्यु की समीक्षा कर इसकी शत-प्रतिशत रिपोर्टिंग किए जाने पर जोर है। 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की गर्भवती व प्रसूता की मौत के कारणों की रिपोर्टिंग आशा करेंगी। यह मौत चाहे अस्पताल में हुई हो या घर पर, मौत की प्रथम सूचना के बाद मौत के कारणों की समीक्षा होगी। उपचार न होने या कुपोषित होने से तो मौत नहीं हुई है। इन सबका पूरा पता लगाने के लिए चिकित्सकों की टीम प्रसूता या गर्भवती के घर जाकर पड़ताल करेगी।
छह फार्म की प्रक्रिया बताएगी मौत का सही कारण: आशा व एएनएम अपने क्षेत्र में हुई मृत्यु की सूचना एएनएम सेंटर व सीएचसी पर फार्म एक से देंगी। फार्म दो में आशा की सूचना ब्लाक रजिस्टर में दर्ज की जाएगी। फार्म तीन में अधीक्षक मौत को सत्यापित कर कारणों की प्रथम पड़ताल करेंगे। फार्म चार में अस्पताल या उप स्वास्थ्य केंद्र पर हुई मौत दर्ज होगी। फार्म पांच भरने की प्रक्रिया मौत के 21 दिन के भीतर पूरी की जाएगी। इसमें चिकित्सक समेत तीन लोग प्रसूता के घर जाकर मौत के कारणों की पड़ताल करेंगे। मातृ स्वास्थ्य के जिला परामर्शदाता नीरज सिंह ने बताया कि फार्म छह में मौत के कारणों की पूरी रिपोर्ट भरी जाएगी।
मौत के कारणों की पड़ताल: मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि एमडीएसआर में गर्भवती व प्रसूताओं के मौत के कारणों की पड़ताल की जाती है।