क्लबफुट जन्मजात विकृति, समय से कराएं उपचार : डॉ अवनीश
जिला अस्पताल में मिरैकल फीट की ओर से लगे कैम्प में बच्चों के माता-पिता को किया जागरूक, सुविधाओं की जानकारी दी
लाभ उठाने के लिए कम उम्र में पहचान हो जाने को बताया गया जरूरी, दो वर्ष की उम्र तक ही मिलती हैं नि:शुल्क सुविधाएं
जौनपुर,संकल्प सवेरा । राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ( आरबीएसके) के अंतर्गत मिरेकल फीट की ओर से जिला पुरुष चिकित्सालय में लगे कैम्प में बच्चों के माता-पिता को क्लबफुट के बारे में जागरूक किया गया। इस दौरान क्लबफुट से 22 बच्चों के माता-पिता को आर्थोपेडिक सर्जन डॉ अवनीश सिंह ने बताया कि क्लब फूट एक जन्मजात विकृति है जिसमें बच्चों के पैर अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं।
मिरैकल फीट की प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि क्लबफुट की समस्या का समाधान करने के लिए एक गैर सरकारी संस्था मिरैकल फीट काम कर रही है। मिरैकल फीट ऐसे बच्चों के उपचार के लिए आरबीएसके तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के साथ साझेदारी में काम करती है। इसके तहत ही आज कैम्प लगा है। हर शुक्रवार को जिला अस्पताल के हड्डी विभाग कमरा नम्बर 10 में मिरैकल फीट की नि:शुल्क सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इसके तहत दो वर्ष तक के ही बच्चों को नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिलती है। उन्होंने क्लब फुट प्रभावित बच्चों की सुविधा के लिए अपना मोबाइल नम्बर 7208820488 भी जारी किया।
डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि पौनसेटी विधि से क्लब फुट प्रभावित बच्चों का बहुत आसानी से इलाज हो जाता है। इसके तहत प्रभावित बच्चे को कास्टिंग, टेनोटामी और फिर ब्रेसिंग की प्रक्रिया से गुजारा जाता है।
डिस्ट्रिक्ट अर्ली इनटर्वेंशन सेंटर (डीईआईसी) मैनेजर अमित गौड़ ने मिरैकल फीट से मिलने वाली सुविधाओं का फायदा उठाने के लिए प्रभावित बच्चों की जल्द से जल्द पहचान कर इलाज के लिए लाना आवश्यक बताया। उन्होंने बताया कि प्रभावित बच्चे के लिए फूट ब्रेसेज सहित पूरी चिकित्सा सुविधा नि:शुल्क मिलती है। मिरैकल फीट पूरे उपचार के दौरान पैर के लिए नि:शुल्क ब्रेसेज प्रदान करती है।
डॉ एसपी नारायन ने संक्षेप में उपचार विधि के बारे में बताने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि क्लब फुट के इलाज के लिए पौनसेटी विधि के तहत प्रभावित बच्चे को प्लास्टर लगाया जाता है जो हर सप्ताह बदला जाता है। इस तरह से बच्चे को पांच से छह प्लास्टर लगते हैं।
पौनसेटी विधि पूरी हो जाने पर क्लब फूट क्लीनिक ले जाया जाता है जहां डॉक्टर एड़ी के एक हिस्से (एकेलीज टेंडान) में मामूली कट लगाते हैं। टेडान काटने से पंजा ऊपर-नीचे हरकत करने लायक हो जाता है। इस कार्य विधि के दौरान पंजे पर एक बार तीन सप्ताह के लिए प्लास्टर चढ़ाते हैं। इसके बाद पंजे को सही स्थिति में रखने के लिए ब्रेसेज (दो जूतों वाली छड़) का उपयोग करते हैं। ब्रेस तीन महीने तक दिन-रात पहननी होती है। तीन महीने बाद सिर्फ सोते समय पहनना होता है। पंजे वापस अंदर की ओर न मुड़ने पाएं इसलिए बच्चे को तीन से पांच साल का होने तक ब्रेस पहनना होता है।
मिरैकल फीट की प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव अंकिता श्रीवास्तव ने बताया कि जौनपुर जिले में मिरैकल फीट 2019 से कार्यरत है। 2019 से अब तक 56 बच्चों का पंजीकरण किया जा चुका है और उनका इलाज चल रहा है। इनमें से 11 बच्चों का प्लास्टर चल रहा है। बाकी बच्चों को जूते (ब्रेसेज) मिल चुके हैं। कैम्प में बदलापुर आरबीएसके टीम से डॉ मनीष मौर्या, डॉ श्वेता, बख्शा से डॉ दिनेश, मुफ्तीगंज से डॉ मोनिका, मड़ियाहूं से डॉ विनोद शाही, हॉस्पिटल प्रबंधक अभिषेक रंजन, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ अनिल कुमार शर्मा शामिल हुए।