सीएचसी डोभी ने ‘कायाकल्प’ पुरस्कार के साथ ही तीमारदारों का दिल भी जीता
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर मिल रहीं सुविधाओं को तीमारदारों ने सराहा
भोजन की गुणवत्ता जांचते हैं दो अधिकारी, संक्रमण पर काबू पाने के लिये भी प्रशिक्षित हुए कर्मचारी
संकल्प सवेरा जौनपुर चांदेपुर की खुशबू ने शुक्रवार दोपहर 12 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) डोभी में बेटे को जन्म दिया । खुशबू के पिता बिहारी सिंंह और सास रामकली सिंह अस्पताल के कर्मचारियों के व्यवहार से बहुत खुश नजर आये । कर्मचारी से लेकर डॉक्टर तक जिससे भी उन्होंने अपनी बात कही, सभी ने तुरंत सुनी। इसी तरह से गोनौली चंदवक के ओम प्रकाश को कमजोरी और बुखार था। सीएचसी डोभी गए तो तुरंत रक्तचाप जांचकर उन्हें दवा मिली। उनकी पत्नी को कोविड का टीका लगना था, वह भी तुरंत लग गया। खुशबू के पिता और सास जहां कर्मचारियों की तारीफ करते नहीं थकते वहीं ओमप्रकाश भी तुरंत सुविधा मिलने से खुश हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ लक्ष्मी सिंह कहतीं हैं कि अस्पताल के कर्मचारियों के व्यवहार कुशल होने के साथ ही , मरीज द्वारा जिस सुविधा की मांग की जाती है तो वह भी तत्काल उपलब्ध कराई जाती है। इसके लिए मरीजों का फीडबैक भी लिया जाता है। सीएचसी डोभी के ओपीडी में पहले मरीजों और तीमारदारों के बैठने की व्यवस्था नहीं थी। मरीजों से जानकारी होने पर 100 मरीजों/तीमारदारों को एक साथ बैठने की व्यवस्था करा दी गई।
पीने के पानी के लिए वाटर कूलर लगाया गया। लेबर रूम में निजता के लिए प्रसूताओं के हर बेड के हिसाब से पर्दे लगे। उनकी सुविधा के लिए वेस्टर्न स्टाइल ट्वायलेट बना। जननी सुरक्षा योजना के तहत दिन में दो बार खाना और नाश्ता दिया जाता है, जिसकी गुणवत्ता की जांच के लिए दो नोडल अधिकारी नामित हैं। वह हरदिन भोजन की गुणवत्ता जांचते हैं। दिनभर में तीन बार अस्पताल की विधिवत सफाई होती है। संक्रमण पर काबू पाने के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है ।
जिले की 11 चिकित्सा इकाइयां हैं पुरस्कृत:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) सत्यव्रत त्रिपाठी बताते हैं कि कायाकल्प योजना की शुरुआत वर्ष 2017 में हुई थी । वर्ष 2018 में दो चिकित्सा इकाइयां सीएचसी डोभी प्रदेश में प्रथम तथा पीएचसी मुंगराबादशाहपुर जिले में प्रथम आईं। वर्ष 2018-19 में भी दो इकाइयाँ पुरस्कृत हुईं।
सीएचसी डोभी को प्रदेश में छठां स्थान मिला | वर्ष 2019-20 में पांच चिकित्सा इकाइयां कायाकल्प में चयनित हुईं। सीएचसी डोभी और मछलीशहर, पीएचसी मुंगराबादशाहपुर और तेजीबाजार तथा जिला चिकित्सालय चयनित हुए। वर्तमान में जनपद के 11 अस्पताल कायाकल्प योजना में चयनित हैं। 2020-21 में दो जिला चिकित्सालय, पांंच सीएचसी और चार पीएचसी ने पुरस्कार जीता है।
पुरस्कृत होने के लिए तीन चरण-
क्वालिटी एश्योरेंस के जिला सलाहकार डॉ क्षितिज पाठक बताते हैं कि किसी भी स्वास्थ्य इकाई को कायाकल्प योजना में पुरस्कृत होने के लिए तीन चरणों से गुजरना होता है। पहले चरण में हॉस्पिटल के कर्मचारी और जिला क्वालिटी टीम चिकित्सालयों का मूल्यांकन करती है जिसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर राज्य की ओर से नामित दूसरे जिले की क्वालिटी टीम उसका वेरीफिकेशन करती है।
इसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर उसका अंतिम मूल्यांकन किया जाता है जिसमें 70 प्रतिशत या उससे अधिक अंक पाने पर प्राप्त अंकों के आधार पर स्टेट वार रैंकिंग तैयार की जाती है। किसी भी स्वास्थ्य इकाई का मूल्यांकन इन सात बिन्दुओं पर किया जाता है।
1-चिकित्सालय का रखरखाव (इसके लिए 100 अंक निर्धारित हैं)
2-साफ-सफाई (100 अंक)
3-बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ((100 अंक)
4-संक्रमण नियंत्रण (100 अंक)
5-सहयोगी सेवाएं (50 अंक)
6-साफ-सफाई के प्रति जागरूकता (50 अंक)
7-समुदाय से सम्पर्क (100 अंक)
इन सात बिन्दुओं पर प्रतिभाग करने वाली स्वास्थ्य इकाइयों का मूल्यांकन किया जाता है। इसके लिए 600 अंक निर्धारित हैंं जिसमें से सीएचसी डोभी ने 90 प्रतिशत, सीएचसी मुफ्तीगंज ने 77.6 प्रतिशत, मछलीशहर ने 74.3 प्रतिशत, बरसठी ने 74.1 प्रतिशत और बदलापुर को 70.4 प्रतिशत अंक मिले।
जिला अस्पताल के लिए प्रथम पुरस्कार 50 लाख रुपए तथा द्वितीय पुरस्कार 25 लाख रुपए मिलता है। 70 प्रतिशत से ऊपर विजयी होने वाले सभी अस्पतालों को 03 लाख रुपए का सांत्वना पुरस्कार दिया जाता है। ऐसे ही सीएचसी को प्रथम पुरस्कार 15 लाख रुपए तथा द्वितीय पुरस्कार 10 लाख रुपए मिलता है।
सांत्वना पुरस्कार के तहत एक लाख रुपए मिलते हैंं। पीएचसी को जिले में प्रथम आने पर दो लाख रुपए तथा बाकी को सांत्वना पुरस्कार 50 हजार रुपए मिलता है। इस राशि का 75 प्रतिशत हास्पिटल अपग्रेड करने में तथा 25 प्रतिशत स्टाफ के उत्साहवर्धन के लिए उपयोग किया जाता है।