Sankalp savera जौनपुर । चंद्रशेखर जी एक साधारण किसान परिवार में पैदा होकर अपने मौलिक चिंतन और कर्तव्यनिष्ठा के बल पर सर्वोच्च संवैधानिक पद को प्राप्त किया, समाजवादी चिंतन से प्रेरित होकर वे हमेशा सड़क से लेकर संसद तक असहाय, गरीबों, मजदूरों और बेरोजगार नौजवानों की बेबसी लाचारी और दुख दर्द को उठाने का काम करते थे। उनका लोकतांत्रिक संसदीय व्यवस्था में अटूट विश्वास था, इसलिए जब कभी संसदीय लोकतंत्र को आघात पहुंचता था तो वह फौलादी चट्टान बनकर लोकतंत्र के दुश्मनों के सामने खड़े हो जाया करते थे। चंद्रशेखर कभी पुरातन पंथी नहीं थे वह हमेशा तथाकथित पंडितों मौलवियों और पाखंडी राजनीतिक शास्त्रियों को अपने-अपने घरौंदों से बाहर निकलने के लिए ललकारा करते थे। वह वर्तमान के पक्षधर थे भूतकाल के लिए अपने वर्तमान को बर्बाद कर देना बेवकूफी समझते थे। वर्तमान भारत की राजनीति आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक समस्याओं के समाधान के लिए नए-नए भारतीय मूल्यों की खोज के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। विदेशी पूंजीवाद के कट्टर विरोधी थे। वह भारत का विकास अपने देश के प्राकृतिक और बौद्धिक संसाधनों के बल पर करना चाहते थे, उनका स्पष्ट विचार था भारत के शासन व संपदा में प्रत्येक व्यक्ति को बगैर भेदभाव के भागीदारी मिलनी चाहिए। ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार अपने व्यक्तित्व का विकास कर सके। वह विवेकशाली थे वह किसी शास्त्रीय बंधन में नहीं रहते थे हमेशा नए-नए मौलिक चिंतन की खोज में नौजवानों को ललकारा करते थे, किशी भी राष्ट्रीय हित के सवाल पर किसी से कोई समझौता नहीं करते थे। वह हमारे बीच में नहीं है लेकिन राजनैतिक क्षितिज के ध्रुव तारा बनकर अमर हो गए। उक्त बातें समाजवादी चिंतक वशिष्ठ नारायण सिंह ने आज स्वर्गीय चंद्रशेखर जी के 13 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर कही।












